मुंबई: महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। नाशिक जिला न्यायालय ने 29 साल पुराने एक मामले में कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे को दो साल की जेल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला वर्ष 1995 का है, जब माणिकराव कोकाटे और उनके भाई ने “आवास न होने” और “निम्न आय वर्ग” के अंतर्गत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोटे से नासिक के येओलकर माला, कॉलेज रोड पर दो फ्लैट हासिल किए थे। हालांकि, इस संबंध में शिकायत दर्ज होने के बाद मामला दर्ज किया गया था। नाशिक के सरकारवाडा पुलिस स्टेशन में इस संबंध में शिकायत हुई थी, और पूर्व मंत्री दिवंगत टीएस दिघोले ने इस मामले में याचिका दायर की थी। मामला वर्ष 1997 में शुरू हुआ था, और 29 साल बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट का फैसला और संभावित असर
गुरुवार को नासिक जिला एवं सत्र न्यायालय ने कोकाटे बंधुओं समेत कुल चार आरोपियों को दोषी ठहराया और दो साल की सजा सुनाई। इस फैसले से मंत्री माणिकराव कोकाटे की विधानसभा सदस्यता पर संकट आ सकता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, यदि किसी विधायक को दो या अधिक साल की सजा होती है, तो उसकी विधायकी रद्द हो सकती है।
माणिकराव कोकाटे की प्रतिक्रिया
सजा के बाद मंत्री कोकाटे ने कहा, “मुझे इस मामले में जमानत मिल गई है और मैं ऊपरी अदालत में अपील करूंगा।” जानकारों का मानना है कि यदि हाईकोर्ट से सजा पर स्थगन नहीं मिलता है, तो उनकी विधायकी समाप्त हो सकती है।
क्या होगा आगे?
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि हाईकोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है। यदि कोकाटे को सजा पर स्थगन मिल जाता है, तो वे अपने पद पर बने रह सकते हैं। लेकिन अगर कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, तो उन्हें MLA पद से हाथ धोना पड़ सकता है।