मुंबई : क्रूड ऑयल (Crude Oil) की कीमतों में हाल ही में भारी गिरावट देखने को मिली है। जनवरी 2025 में जहां क्रूड की कीमतें 83 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थीं, वहीं अब यह गिरकर 65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ चुकी हैं। कच्चे तेल की इस गिरावट ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है, लेकिन भारत (India) जैसी आयात (Import) आधारित अर्थव्यवस्था के लिए यह राहत की खबर मानी जा रही है।
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया के अनुसार, “पिछले कुछ वर्षों से ओपेक देशों ने जानबूझकर प्रोडक्शन को सीमित रखा था, जिससे कीमतें ऊंची बनी रहीं। लेकिन अब ओपेक देशों ने प्रोडक्शन में इजाफा किया है। हाल ही में करीब 4.11 मिलियन बैरल का अतिरिक्त उत्पादन हुआ है, जिससे आपूर्ति बढ़ी और कीमतों में गिरावट आई।”
क्रूड की कीमतें एक समय 60 डॉलर के नीचे भी चली गई थीं, लेकिन फिलहाल यह 65 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर हैं। अजय केडिया का मानना है कि फिलहाल बाजार में किसी बड़ी तेजी या मंदी की संभावना नहीं है। कीमतों का 60 डॉलर से नीचे जाना अब मुश्किल माना जा रहा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा
भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है, ऐसे में क्रूड की कीमतों में गिरावट से देश के व्यापार घाटे और मुद्रास्फीति पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे आम आदमी को भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिल सकती है।
अजय केडिया ने आगे कहा, “फिलहाल जो स्थिति है, वह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल है। जब तक क्रूड की कीमतें इस दायरे में बनी रहती हैं, तब तक सरकार और उपभोक्ताओं दोनों को इसका लाभ मिलेगा।”
क्रूड ऑयल की मौजूदा स्थिति पर निवेशकों की भी नजर बनी हुई है, क्योंकि यह वैश्विक आर्थिक रुख का महत्वपूर्ण संकेतक मानी जाती है।