शिमला: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के किसान अब प्राकृतिक खेती के माध्यम से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते हैं। राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकार अब पहली बार किसानों से हल्दी खरीदेगी और इसके लिए ₹90 प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हल्दी की खरीद के लिए पंजीकरण प्रक्रिया की शुरुआत की है।
2025-26 के बजट में प्राकृतिक तरीके से उगाई गई हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर ₹90 प्रति किलो तय किया गया है। इस कदम से न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। साथ ही, प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। कृषि विभाग पंजीकरण प्रक्रिया और किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों पर प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
हल्दी की खेती का विस्तार
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 2,042.5 हेक्टेयर भूमि में हल्दी की खेती हो रही है, जिससे लगभग 24,995 मीट्रिक टन हल्दी का उत्पादन होता है। राज्य के प्रमुख हल्दी उत्पादन क्षेत्र हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, मंडी और सोलन जिले हैं। हल्दी का औषधीय महत्व और कोविड-19 के बाद घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी बढ़ती मांग के कारण, यह किसानों के लिए एक प्रमुख आय स्रोत बन गया है।
हल्दी की खेती में फायदे
हल्दी की खेती जंगली जानवरों, विशेषकर बंदरों से सुरक्षित रहती है, और इसमें कम श्रम की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, कटाई के बाद इसकी शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है, जिससे यह फसल हिमाचल के किसानों के लिए आदर्श बनती है। यह खेती किसानों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रही है।
‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड से मिलेगा नया पहचान
मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजीकृत किसानों से खरीदी गई कच्ची हल्दी का प्रसंस्करण हमीरपुर स्थित स्पाइस पार्क में किया जाएगा। प्रोसेस्ड हल्दी को ‘हिमाचल हल्दी’ नाम से विपणन किया जाएगा, जिससे इसे बाजार में एक विशिष्ट पहचान मिलेगी और इसकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी। यह पहल ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूती देने के साथ-साथ किसानों को बेहतर मूल्य दिलवाएगी।
यह कदम किसानों को सीधे सरकार से हल्दी बेचने का अवसर प्रदान करेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और राज्य में प्राकृतिक खेती को और बढ़ावा मिलेगा।