भोपाल : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) सरकार ने वायु और मृदा प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब जो भी किसान अपने खेतों में पराली जलाएगा, उसे ‘मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना’ का लाभ नहीं मिलेगा। यह सख्त नियम 1 मई 2025 से पूरे राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।
रबी सीजन के बाद बढ़े पराली जलाने के मामले
मुख्यमंत्री का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब रबी फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। इससे न केवल वायु प्रदूषण बढ़ा है, बल्कि भूमि की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित हुई है। इससे पहले सरकार पराली जलाने पर जुर्माना लगाने और एफआईआर दर्ज करने जैसी कार्रवाई कर चुकी है।
अफसरों की बैठक में लिया गया अहम फैसला
मुख्यमंत्री ने हाल ही में भोपाल में राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें पराली जलाने की समस्या और उसके दुष्परिणामों पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि कृषि आधारित राज्य होने के नाते, खेतों में नरवाई जलाना पर्यावरण और कृषि भूमि दोनों के लिए घातक है। इससे जमीन में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जो भूमि की उर्वरकता को प्रभावित करते हैं।
एमएसपी पर खरीद भी नहीं होगी
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जो किसान इस निर्देश का उल्लंघन करेगा, उससे न केवल ‘किसान कल्याण योजना’ का लाभ छीना जाएगा, बल्कि अगले वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर उसकी फसल की खरीद भी नहीं की जाएगी।
अतिक्रमण हटाने को लेकर भी निर्देश
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री ने शासकीय भूमि, कुएं, बावड़ियों और ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक रास्तों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने के लिए भी विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण, भूमि की उत्पादकता बनाए रखने और किसानों को जिम्मेदारी का एहसास कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।