पंजाब में आज किसानों का हल्लाबोल, 19 जिलों में रेल रोको आंदोलन – क्या हैं मुख्य मांगें?

नई दिल्ली, 05 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): पंजाब आज एक बार फिर किसान आंदोलन के केंद्र में है। किसान मजदूर मोर्चा (इंडिया) के पंजाब चैप्टर ने आज पूरे राज्य में रेल रोको आंदोलन आयोजित करने की घोषणा की है। संगठन के अनुसार यह विरोध दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक चलेगा, जिसमें राज्यभर में रेलवे ट्रैकों पर धरना देकर ट्रेनों की आवाजाही रोकी जाएगी।

किसानों ने साफ संकेत दिया है कि यह सिर्फ सांकेतिक विरोध है, मगर अगर सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी जारी रखी तो आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा।

किसान मजदूर मोर्चा के अनुसार पंजाब के 19 जिलों में कुल 26 स्थानों पर रेल रोको कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इनमें शामिल हैं- अमृतसर, गुरदासपुर, पठानकोट, तरनतारन, फिरोजपुर, कपूरथला, जालंधर, होशियारपुर, पटियाला, संगरूर, फाजिल्का, मोगा, बठिंडा, मुक्तसर, मालेरकोटला, मनसा, लुधियाना, फरीदकोट और रोपड़।

इन जिलों के प्रमुख रेलवे स्टेशनों और रेलवे क्रॉसिंग पर दो घंटे के लिए रेल यातायात प्रभावित रहेगा। इससे राज्य में कई ट्रेनें विलंबित या डायवर्ट होने की संभावना है।

किसानों की मुख्य मांगें क्या हैं?
किसान मजदूर मोर्चा (इंडिया) ने इस आंदोलन के जरिए अपनी कई अहम मांगों को सामने रखा है। इनमें सबसे प्रमुख हैं—

1. बिजली संशोधन बिल-2025 का मसौदा रद्द किया जाए।
किसानों का आरोप है कि यह बिल बिजली को और महंगा बनाएगा और निजीकरण को बढ़ावा देगा।

2. प्रीपेड बिजली मीटर हटाए जाएं।
किसानों के अनुसार प्रीपेड मीटर व्यवस्था आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डालती है और ग्रामीण परिवारों के लिए असुविधाजनक है।

3. पुरानी मीटर प्रणाली बहाल की जाए।
वे इसे अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी मानते हैं।

4. राज्य सरकार की सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने की नीति का विरोध।
किसान संगठनों का दावा है कि सरकारी संसाधनों को निजी हाथों में सौंपना जनता विरोधी कदम है।

किसानों ने यह भी चेताया है कि ये नीतियाँ खेतीहर मजदूरों, किसानों और आम उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर सकती हैं।

सरवन सिंह पंढेर की चेतावनी: आंदोलन और तेज़ होगा
किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने 2 दिसंबर 2025 को ही आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा था कि सरकार लगातार किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। वर्तमान रेल रोको आंदोलन सिर्फ एक शुरुआती कदम है, और यदि सरकार ने संवाद शुरू नहीं किया तो विरोध प्रदर्शन और सख्त किया जाएगा।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रशासन किसानों के मुद्दों से दूरी बना रहा है, जिससे उन्हें सड़कों और ट्रैकों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

डल्लेवाल का सरकार पर बड़ा आरोप
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आरोप लगाया है कि सरकार देश में दी जा रही विभिन्न सब्सिडियों को समाप्त करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को बेचने की नीति और नए बीज कानून किसानों को कंपनियों पर निर्भर बनाने की कोशिश है।

डल्लेवाल के अनुसार पारंपरिक बीज प्रणाली को खत्म करके आयात और कॉर्पोरेट नियंत्रण बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है, जो WTO नीतियों के अनुरूप है—परंतु किसानों के हित के खिलाफ है। उन्होंने साफ कहा कि यह आंदोलन सिर्फ पंजाब का नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों के अधिकारों और भविष्य की लड़ाई है।

किसान संगठनों ने कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो आने वाले दिनों में आंदोलन का दायरा बढ़ाया जाएगा और दिल्ली की ओर मार्च, लंबे धरने और बड़े स्तर पर नाकेबंदी जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं।

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