एमएसपी से कम कीमत पर किसान बेच रहे हैं सोयाबीन, जानिए क्या हैं कारण

पिछले दो सप्ताह से सोयाबीन की कीमतें स्थिर हैं। वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि के कारण हेज फंड यानी सोयाबीन बाजार में निवेश कम हो गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की बिक्री बढ़ गयी है। लेकिन अधिक आवक से कीमतें पिछले तीन साल के निचले स्तर पर आ गयी हैं। इसका असर भारत के सोयाबीन उत्पादन पर भी दिख रहा है। भारत के किसानों को सोयाबीन 500 रुपये से भी काम दाम में सोयाबीन बेचना पड़ रहा है।

देश की मंडियों में सोयाबीन की आवक अभी भी बनी हुई है। उद्योग जगत कहना है कि हर दिन कम से कम डेढ़ लाख क्विंटल सोयाबीन की आवक हो रही है। हालांकि इस साल देश में उत्पादन कम हुआ है, लेकिन कई किसानों और व्यापारियों के पास पिछले सीज़न का सोयाबीन है। सप्लाई ज्यादा होने से कीमतों में कमी आई है। फ़िलहाल देश में सोयाबीन की औसत कीमत 4300 से 4600 है।

महाराष्ट्र में किसान सोयाबीन की गिरती कीमत को लेकर परेशान हो चुके है। किसानों का कहना है कि उन्हें सोयाबीन पर उचित दाम नहीं मिल रहा ऐसे में 500 से भी कम दाम में सोयाबीन बेचने के लिए मजबूर हो गए है। कुछ समय पहले तिलहन के फसल पर किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहा था और अब सोयाबीन पर उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।

मंडियों में कितना पहुंचा सोयाबीन का भाव

इस वक्त मंडियों में MSP से कम दाम चल रहा है। सरकार ने सोयाबीन के एमएसपी 4600 प्रति क्विंटल तय कर रखी है जबकि ज्यादातार मंडियों में 4300 से 4600 रूपये प्रति क्विंटल तक के ही आवश्यक दाम पर किसानों को संतोष करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है की अगर तिलहल फसल पर भी उनको सही दाम नहीं मिलेगा तो फिर किस फसल पर मिलेगा। क्योंकि सरकार तिलहन खाद्य तेल बड़े पैमानों पर आयत कर रही है। ऐसे में कम से कम यहां के तिलहन फसल पर किसानों को सरकार सही दाम सुनिश्चित करें।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतें गिरी हैं। भारत सरकार ने आयात शुल्क भी कम कर दिया है। इससे तेल पर दबाव लगातार बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन सस्ता होने के कारण देश से निर्यात होने वाले सोयाबीन को अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है। भले ही हमारा सोयाबीन गैर-जीएम है, लेकिन इसे उम्मीद के मुताबिक प्रीमियम मूल्य नहीं मिलता है। इसका असर हमारे सोयाबीन उत्पादकों पर भी पड़ रहा है।

आखिर क्यों सोयाबीन में आयी है गिरावट

वैश्विक बाजार में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के दो कारण हैं। पहला है बढ़ी हुई आपूर्ति, दूसरा है बढ़ी हुई हेज फंड की बिक्री। वैश्विक सोयाबीन बाजार में निराशा का माहौल है। इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की सप्लाई बढ़ी है। दुनिया की तमाम अहम संस्थाओं ने अनुमान जताया है कि इस साल दुनिया में सोयाबीन का उत्पादन बढ़ेगा। तीनों टीएपी देशों ने वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में अपना प्रभुत्व बनाए रखा। ब्राज़ील का उत्पादन पिछले साल से कम रहेगा। लेकिन अर्जेंटीना में पिछले साल की तुलना में दोगुना उत्पादन होने की उम्मीद है।

कुल वैश्विक सोयाबीन उत्पादन का 80 प्रतिशत हिस्सा ब्राजील, अमेरिका और अर्जेंटीना का है। सोयाबीन के मुख्य उपभोक्ता चीन की हिस्सेदारी केवल 5 प्रतिशत है। ब्राजील में पिछले सीजन में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। इस प्रकार ब्राज़ील का सोयाबीन निर्यात 29 प्रतिशत बढ़ गया। जबकि अमेरिका का निर्यात 14 फीसदी घटा है। क्योंकि ब्राज़ील में जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है, कीमतें घटती जाती हैं। अमेरिका और ब्राजील से सोयाबीन का निर्यात वैश्विक निर्यात का लगभग 80 प्रतिशत है।

हालांकि इस साल ब्राजील में उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम रहेगा, लेकिन कटाई जोरों पर चल रही है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ रही है। आपूर्ति बढ़ने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में हेज फंड यानी सोयाबीन के शेयरों में निवेश करने वाली कंपनियां बाहर निकल रही हैं क्योंकि सोयाबीन को फायदा नहीं हो रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की बिक्री बढ़ी हुई नजर आ रही है। इसका असर सोयाबीन की कीमत पर पड़ा है।

पिछले सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की बिक्री पिछले सप्ताह की तुलना में काफी बढ़ी है। इसके चलते सोयाबीन और सोया सीड्स की कीमत पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। सोयाबीन 11.38 डॉलर प्रति बुशेल था। सोयाबीन खली 327 डॉलर पर आ गई. बाजार में बिक्री बढ़ने का दबाव देखा जा रहा है। ब्राजील और अर्जेंटीना के सोयाबीन उत्पादन ने वैश्विक सोयाबीन बाजार को परेशान कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची

Krishi-Vision 2047

Cultivating a Sustainable Future

Join the movement to shape climate-resilient agriculture in Bharat. Meet policymakers, scientists, and farmers at Krishi-Vision 2047 a powerful day of ideas, innovation, and impact.