एक तो बारिश कम और अब खाद भी महंगी होने की आशंका, रबी सीजन में किसानों की टेंशन बढ़ी

देश में उर्वरकों की कीमत में वृद्धि देखने को मिल सकती है। असल में खाद की मांग बढ़ने के कारण कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि खाद की कीमतों में इजाफा नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो रबी सीजन में किसानों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दिसंबर में बारिश नहीं हुई है, जिससे सिंचाई की लागत बढ़ गई है। इसके बाद खाद के दाम भी बढ़े तो किसान परेशान होंगे। उर्वरकों के मूल्य में वृद्धि की आशंका इसलिए जताई गई है क्योंकि जिन समुद्री मार्गों से भारत में उर्वरकों का आयात किया जाता है और उन मार्गों पर अभी भारी व्यवधान है। इन मार्गों में लाल सागर और स्वेज नहर शामिल हैं। उर्वरक का अधिकांश व्यापार इन दो समुद्री मार्गों के माध्यम से किया जाता है। भारत में भी उर्वरक का आयात इसी मार्ग से किया जाता है।

लाल सागर और स्वेज नहर के बाधित होने के कारण अन्य मार्गों से उर्वरकों की आपूर्ति की जा रही है। इससे परिवहन की लागत बढ़ गई है, जिससे उर्वरक भी महंगे हो गए हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में सप्लाई में कमी आ सकती है, जिसकी वजह से कीमतों में उछाल संभव है। एक तरफ लाल सागर और स्वेज नहर परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ वैकल्पिक मार्ग को लेकर कई तरह के प्रतिबंध और निगरानी हैं, जिससे माल पहुंचने में होने वाली देरी और परिवहन की लागत बढ़ रही है।

इसलिए बढ़ सकते हैं दाम

पनामा नहर एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम कर रही है। लेकिन इस मार्ग पर एक बड़ी समस्या भी है। इस मार्ग का जलस्तर कम चल रहा है। इस पूरे क्षेत्र पर सूखे का असर है, जिसकी वजह से पनामा नहर का पानी पहले ही कम हो गया है। इसलिए जहाजों की आवाजाही पर आंशिक प्रतिबंध है। यानी यहां से कुछ ही जहाज गुजर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूखे से पहले इस नहर से हर दिन 38 जहाज गुजरते थे लेकिन अब सिर्फ 24 जहाज ही वहां से गुजर रहे हैं।

फर्टिलाइजर कंपनियों का मार्जिन हुआ कम

उर्वरक की कीमतों में वृद्धि का एक और कारण हो सकता है। सरकार पहले ही कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर की सब्सिडी दर में 40 फीसदी की कमी कर चुकी है। इससे फर्टिलाइजर कंपनियों का प्रॉफिट मार्जिन कम हो सकता है। इस कमी को पूरा करने के लिए फर्टिलाइजर कंपनियां अपने माल के रेट बढ़ा सकती हैं। कुछ कंपनियों ने उर्वरकों की कीमतें बढ़ा दी हैं और डीलरों को दी जाने वाली छूट कम कर दी है।

मानसून की बारिश का असर

इसके अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इन दोनों राज्यों के बाजार में उर्वरकों की मांग में तेजी से गिरावट आई है क्योंकि इस बार मानसून की बारिश कम रही है। इसलिए, उर्वरक की मांग कम हो गई है। अच्छी वर्षा होने से कृषि में वृद्धि होती है और तदनुसार उर्वरक की मांग भी बढ़ती है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। महाराष्ट्र में इस बार प्याज की खेती भी कम हुई है, जिससे खाद के साथ कवकनाशी की मांग भी गिर गई है।

 

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