नई दिल्ली, 10 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देशभर के गेहूं बाजारों में पिछले कुछ दिनों से जारी दबाव अब कम होता दिख रहा है। फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) द्वारा टेंडर प्रक्रिया फिलहाल रोक दिए जाने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में सुधार आया है और मंडियों में गेहूं के भाव हल्के मजबूत दिखने लगे हैं।
हाल के हफ्तों में सरकारी बिक्री, बढ़ी हुई ऑफर मात्रा और कमजोर पूछताछ के कारण गेहूं की कीमतों पर दबाव बना हुआ था। लेकिन FCI की आपूर्ति अस्थायी रूप से रुकने से बाजार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कई राज्यों में भाव 10–40 रुपए प्रति क्विंटल तक सुधरते दिखे।
टेंडर रुकने असर बाजार सेंटिमेंट पर
व्यापारियों का कहना है कि FCI द्वारा अचानक टेंडर रोक देने से ओपन मार्केट में सप्लाई का दबाव कम हुआ, जिससे मंडियों में तेजी लौटी।
ट्रेड चैनलों के अनुसार बाजार को यह संकेत मिला कि सरकार फिलहाल अतिरिक्त गेहूं बाजार में नहीं उतारेगी। प्राइवेट ट्रेडर्स और मिलर्स ने खरीद बढ़ाई, जिससे भाव में सुधार आया। स्पॉट मार्केट में होल्डिंग बढ़ने से लिक्विडिटी सुधरी और बिकवाली का दबाव कम हुआ।
इस कदम को कई एक्सपर्ट्स “संतुलन बहाल करने वाला निर्णय” मान रहे हैं क्योंकि लगातार कमजोरी से किसानों और ट्रेडर्स दोनों को नुकसान हो रहा था।
कई जगहों पर भाव हुए हल्के मजबूत
अलग-अलग राज्यों से मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार:
- मध्य प्रदेश में मिल-क्वालिटी गेहूं 15–25 रुपए/क्विंटल सुधरा।
- राजस्थान की हाड़ौती और श्रीगंगानगर बेल्ट में 20–30 रुपए/क्विंटल की मजबूती देखी गई।
- उत्तर प्रदेश में मिलों की खरीद थोड़ी बढ़ी, जिससे भाव में हल्की तेजी दर्ज हुई।
- पंजाब–हरियाणा में स्थिर से मजबूत रुझान देखा गया।
हालांकि, ट्रेडर्स का कहना है कि कीमतों में बड़ी तेजी की संभावना तभी बनेगी जब अगले कुछ दिनों में निजी मिलों की पूछताछ बढ़े और सरकारी स्टॉक रिलीज़ सीमित रहे।
उद्योग के लिए इसका क्या महत्व?
FCI के टेंडर रुकने से फिलहाल बाजार को राहत मिल गई है, लेकिन उद्योग विशेषज्ञ इस निर्णय को अस्थायी संतुलन मान रहे हैं।
महत्वपूर्ण कारण हैं:
- सरकारी बफर स्टॉक उच्च स्तर पर है, जिसे नियंत्रित तरीके से ही बाजार में लाना होगा।
- फ्लोर मिलों की मांग अभी भी सुस्त है, क्योंकि तैयार उत्पादों की ऑफ-टेक धीमी है।
- आगामी महीनों के आयात या निर्यात नीति संकेत भी कीमतों को प्रभावित करेंगे।
कुल मिलाकर, यह कदम बाजार में गिरावट को तुरंत रोकने में सफल रहा है, लेकिन स्थायी सुधार मिलों और थोक खरीदारों की वास्तविक मांग पर निर्भर करेगा।
किसानों और व्यापारियों पर असर
- किसानों के लिए राहत: लगातार गिरते भावों से परेशान किसानों को थोड़ी मजबूती से राहत मिली है।
- ट्रेडर्स के लिए अवसर: भावों में स्थिरता ने छोटे–मध्यम व्यापारियों को खरीद बढ़ाने का मौका दिया है।
- मिल्स सावधानी में: अधिकांश मिलें अभी भी जरूरत के अनुसार खरीद कर रही हैं, बड़े सौदों से बचते हुए।
कुलमिलाकर, FCI टेंडर रुकने का असर तुरंत दिखाई दिया और गेहूं के बाजार ने दबाव से उबरना शुरू किया। हालांकि यह स्थायी ट्रेंड बनेगा या नहीं, यह निजी मांग और सरकारी रणनीति पर निर्भर करेगा। फिलहाल बाजार में हल्की मजबूती और सुधार का संकेत साफ है।
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