नई दिल्ली, 5 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत सरकार ने इस रबी सीज़न से अमोनियम सल्फेट (Ammonium Sulphate) को उर्वरक सब्सिडी योजना (Nutrient Based Subsidy – NBS) के दायरे में लाकर इसे यूरिया के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में पेश किया है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनियम सल्फेट नाइट्रोजन को धीरे-धीरे छोड़ता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता और सूक्ष्मजीव संतुलन बना रहता है। यह अत्यधिक यूरिया के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को कम कर सकता है।

उर्वरक मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि रबी 2025-26 (अक्टूबर 2025–मार्च 2026) के लिए अमोनियम सल्फेट (घरेलू और आयातित दोनों) को सब्सिडी योजना में शामिल किया गया है। अब इस पर नाइट्रोजन के लिए ₹43.02 प्रति किलोग्राम और सल्फर के लिए ₹2.87 प्रति किलोग्राम की सब्सिडी लागू होगी।

इस अधिसूचना के तहत AS 20.5-0-0-23 किस्म — जिसमें 20.5% नाइट्रोजन और 23% सल्फर होता है — पर कुल ₹9,479 प्रति टन सब्सिडी दी जाएगी। इसमें फॉस्फेट और पोटाश नहीं होता, जिससे यह मिट्टी की प्राकृतिक संरचना को बनाए रखता है।

सस्ता और मिट्टी के अनुकूल विकल्प
उद्योग सूत्रों के अनुसार, सब्सिडी के बाद अमोनियम सल्फेट की खुदरा कीमत ₹700 प्रति बैग (50 किलोग्राम) तक घट सकती है। पहले इसकी दर ₹1,100–₹1,200 प्रति बैग थी, जिससे किसान इसे खरीदने में हिचकते थे।

कृषि वैज्ञानिक कहते है, ‘अमोनियम सल्फेट यूरिया की तुलना में नाइट्रोजन धीरे छोड़ता है, जिससे पौधों को पोषण लंबे समय तक मिलता है। यदि सरकार यूरिया की कीमतों में धीरे-धीरे संशोधन करती है, तो किसान इसका उपयोग तेजी से अपनाएँगे।’ हालांकि, यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा (46%) अधिक होती है, लेकिन अमोनियम सल्फेट मिट्टी के pH संतुलन को बनाए रखता है और मिट्टी की दीर्घकालिक सेहत के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

पिछले सीज़न की तुलना में सब्सिडी में वृद्धि
पिछले खरीफ सीज़न में अमोनियम सल्फेट पर सब्सिडी ₹9,419 प्रति टन थी, जो अब बढ़कर ₹9,479 प्रति टन हो गई है। यह वृद्धि सल्फर की सब्सिडी दर में संशोधन (₹2.61 से बढ़ाकर ₹2.87 प्रति किलोग्राम) के कारण हुई है।

29 अक्टूबर की अधिसूचना के साथ अब अमोनियम सल्फेट को स्पष्ट रूप से सब्सिडी योग्य उर्वरक के रूप में मान्यता मिल गई है, जिससे इसके उपयोग और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

मांग और उपलब्धता का संतुलन
उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, खरीफ 2025 (अप्रैल–सितंबर) में यूरिया की अनुमानित मांग 185.39 लाख टन थी, जबकि वास्तविक बिक्री 193.20 लाख टन तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष से लगभग 4% अधिक है।

हालाँकि, कई राज्यों से यूरिया की कमी और कालाबाजारी की शिकायतें मिलीं। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में भी भिन्नता देखी गई — जहाँ मंत्रालय ने 1 अक्टूबर को यूरिया स्टॉक 48.64 लाख टन बताया, वहीं सूत्रों के अनुसार वास्तविक स्टॉक केवल 37.33 लाख टन था।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यूरिया की बढ़ती निर्भरता को कम करने के लिए सरकार द्वारा अमोनियम सल्फेट को प्रोत्साहन देना एक संतुलित और टिकाऊ कृषि नीति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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