नई दिल्ली, 10 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): लंबे इंतजार के बाद एलन मस्क (Elon Musk) की स्पेसएक्स की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink आधिकारिक रूप से भारत में लॉन्च हो गई है। यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब देश के कई इलाकों में अब भी फाइबर ब्रॉडबैंड की पहुंच सीमित है। इन चुनौतियों के बीच Starlink का दावा है कि उसकी लो-अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट टेक्नोलॉजी देश के डिजिटल डिवाइड को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
क्या मिलेगा और कितना खर्च होगा?
Starlink ने अपने रेजिडेंशियल प्लान की कीमत ₹8,600 प्रति माह तय की है। इसके अतिरिक्त ग्राहकों को ₹34,000 का एकमुश्त हार्डवेयर किट चार्ज देना होगा, जिसमें सैटेलाइट डिश, वाई-फाई राउटर, केबल और माउंटिंग उपकरण शामिल हैं। कंपनी ने 30 दिनों का ट्रायल पीरियड भी लागू किया है ताकि ग्राहक सेवा की गति और स्थिरता को परख सकें।
Starlink का दावा है कि उसकी सेवा अनलिमिटेड डेटा, 99.9% अपटाइम और चुनौतीपूर्ण भूगोल वाले क्षेत्रों में भी स्थिर इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराएगी। तकनीकी रूप से यह सेवा ऐसे क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन की गई है जहां परंपरागत ब्रॉडबैंड पहुंचाने में बाधाएं आती हैं, जैसे पहाड़ी इलाके, गहरे ग्रामीण क्षेत्र और जंगलों से घिरे कस्बे।
डिजिटल इंडिया को नई रफ़्तार
भारत में लाखों लोग आज भी ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां ब्रॉडबैंड पहुंच सीमित या बिलकुल नहीं है। ऐसे क्षेत्रों में Starlink की सैटेलाइट आधारित तकनीक बड़ी भूमिका निभा सकती है। इससे ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं, छोटे व्यवसायों का डिजिटलीकरण, रिमोट वर्क और डिजिटल पेमेंट जैसे सेक्टरों को खास लाभ मिल सकता है।
सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को गति देने के लिए यह तकनीक विशेष रूप से उपयोगी साबित हो सकती है, क्योंकि इसके लिए केबल बिछाने या बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की आवश्यकता नहीं होती। बस एक डिश और साफ आसमान—यही शर्तें ज्यादातर क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए पर्याप्त होंगी।
सरकारी मंजूरी और आगे की प्रक्रिया
Starlink को भारत में संचालन के लिए IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Centre) की मंजूरी प्राप्त हो चुकी है। कंपनी ने कहा है कि वह सभी भारतीय नियमों और स्पेस सेक्टर के नए दिशानिर्देशों का पालन करते हुए सेवाएँ उपलब्ध कराएगी। यह मंजूरी भारत के स्पेस सेक्टर के तेजी से खुल रहे निजी बाजार में एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर देखी जा रही है।
उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया: उम्मीद और चिंता दोनों
Starlink की कीमतों को लेकर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं। कई लोग इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिए क्रांतिकारी बताते हैं, खासकर उन इलाकों में जहां इंटरनेट आज भी एक सपने जैसा है। वहीं कुछ उपभोक्ता इसे महंगा बताते हुए कहते हैं कि ₹8,600 का मासिक शुल्क आम भारतीय परिवार के बजट से बाहर है।
हालांकि टेक विशेषज्ञों की राय है कि सैटेलाइट इंटरनेट टेक्नोलॉजी की वैश्विक लागत को देखते हुए Starlink की प्राइसिंग प्रतिस्पर्धी है और जैसे-जैसे नेटवर्क का विस्तार होगा, भारत में इसकी लागत धीरे-धीरे कम भी हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि Starlink का भारत में प्रवेश न केवल ग्रामीण इंटरनेट इकोसिस्टम को बदल सकता है, बल्कि अन्य इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के बीच भी नई प्रतिस्पर्धा पैदा कर सकता है। यदि कीमतें धीरे-धीरे कम हुईं और सर्विस क्वालिटी स्थिर रही, तो यह सेवा देश के डिजिटल ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकती है।
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