प्याज और टमाटर के दाम में गिरावट, अब लहसुन बन गया है ग्राहकों के लिए बना सिरदर्द

हाल के दिनों में प्याज और टमाटर की कीमतों में गिरावट आई है। टमाटर, जो कभी 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था, अब 30-40 रुपये पर अटक गया है और प्याज, जो कभी 50 रुपये को पार करता था, अब 25-30 रुपये पर अटक गया है। लेकिन अब ग्राहकों को लहसुन के सिरदर्द से ज्यादा परेशानी होने लगी है। पिछले कुछ महीनों में टमाटर और प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है, दूसरी तरफ लहसुन की कीमतों में उछाल जारी है। हालत यह है कि खुदरा में इसकी कीमत 500 रुपये किलो तक पहुंच गई है। लहसुन की कीमत जो कभी 100-125 रुपये प्रति किलो बिकती थी, अब 500 रुपये तक पहुंच गई है। एक अच्छी बात यह है कि ग्राहकों को बड़ी मात्रा में इसकी आवश्यकता नहीं है, लेकिन स्वाद के लिए खरीदना होगा। ऐसे में ग्राहकों का लहसुन खरीदने का मन कर रहा है।

ऐसा नहीं है कि लहसुन की महंगाई का असर सिर्फ ग्राहकों पर पड़ता है। किसान इस बात से भी चिंतित हैं कि महंगाई बढ़ने से उनकी उपज की बिक्री बंद नहीं हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो लहसुन और किसानों की कमाई पर असर पड़ेगा क्योंकि लहसुन कच्चा माल है, इसे लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता है।

प्याज और आलू के दाम कम हैं

इसी तरह आलू की कीमतों में भी बाजार में गिरावट आई है। आलू कभी 30 रुपये से ऊपर चला गया था, जो अब घटकर 10 रुपये किलो रह गया है। नई आवक के बाद आलू की कीमतों में गिरावट जारी है। एक महीने में आलू की कीमतों में 30 फीसदी की गिरावट आई है। उधर, प्याज पर निर्यात प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से इसकी कीमत में 75 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। गिरावट आ रही है। दूसरी ओर लहसुन 500 रुपये किलो पर पहुंच गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि खराब मौसम की वजह से इसके आने पर असर पड़ा है।

क्यों बढ़े लहसुन के दाम?

कमोडिटी बाजार के जानकारों के मुताबिक लहसुन के दाम में वृद्धि की वजह इसकी खेती के रकबे और उत्पादन में कमी को बताया गया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, वर्ष 2021-22 में देशभर में 4,31,000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती की गई। जो 2022-23 में घटकर 3,86,000 हेक्टेयर रह गया। इसी तरह 2021-22 में देशभर में 35,23,000 मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन हुआ। जबकि 2022-23 में यह घटकर 32,33,000 मीट्रिक टन रह गया। इस वजह से इसकी महंगाई इतनी बढ़ गई है।

 

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