बेमौसम बारिश के बाद महाराष्ट्र में किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है। प्याज की फसल पर इसका बुरा असर पड़ा है, जिससे इसकी कीमतें और बढ़ सकती हैं। नासिक, पुणे, धुले और अहमदनगर सहित कई जिलों में अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि ने खरीफ सीजन की प्याज की फसल को नष्ट कर दिया है। कई किसानों के खेतों में पानी भर गया जिससे प्याज सड़ रहा है। इस साल मानसून की बारिश में देरी इस वजह से खरीफ सीजन के प्याज की रोपाई में करीब एक से डेढ़ महीने की देरी हुई, जिससे कई किसानों के खेतों में अब तक प्याज की फसल तैयार हो चुकी है। इस बीच, बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की अच्छी कीमत कमाने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

अगस्त से प्याज की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। किसानों को 20 से 40 रुपये किलो तक दाम मिल रहे हैं. जबकि रिटेल में उपभोक्ताओं को 60 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। कारण यह है कि मानसून में बारिश की कमी के कारण बुवाई में देरी हुई। इतना ही नहीं पहले किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल रहे थे, इसलिए किसानों ने कम बुआई की थी। अब उपभोक्ताओं को उम्मीद थी कि खरीफ सीजन का प्याज बाजार में आने के बाद थोड़ा कम मिलेगा और किसानों को उम्मीद थी कि वे ज्यादा प्याज बेचकर अच्छी कमाई करेंगे। बारिश ने दोनों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। काफी फसल बर्बाद हो गई, जबकि अब इसकी वजह से उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम पर प्याज मिलेगा।

तैयार प्याज के लिए खतरनाक है बारिश

अगर प्याज की फसल तैयार हो जाती है तो बारिश उसके लिए काफी खतरनाक मानी जाती है. पानी इसके अंदर चला जाता है, जिससे अपघटन तेजी से होता है। बारिश की वजह से प्याज की फसल में नमी है. नमी की वजह से प्याज ज्यादा देर तक नहीं टिकता है। इसलिए किसानों को इसे औने-पौने दाम पर बेचना पड़ रहा है।

मजबूरी में बेचना होगा प्याज

रबी सीजन का प्याज भंडारण करने में सक्षम है। क्योंकि इसमें नमी की मात्रा बहुत कम होती है, जबकि खरीफ सीजन के प्याज में नमी के कारण इसे स्टोर नहीं किया जा सकता है। इसलिए बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित खरीफ सीजन का प्याज बहुत जल्द किसानों को बेचना होगा।

कितना नुकसान हुआ?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले का कहना है कि राज्य के लगभग सभी प्याज उत्पादक जिलों में भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई है। इससे खरीफ सीजन की करीब 35 फीसदी प्याज की खेती को नुकसान पहुंचा है। राज्य में प्याज के कुल उत्पादन में रबी सीजन की हिस्सेदारी करीब 65 प्रतिशत है। जबकि शेष 35 प्रतिशत खरीफ और पछेती खरीफ सीजन का प्याज है। अब अगर इतने बड़े पैमाने पर नुकसान होता है तो सरकार को जल्द से जल्द पंचनामा कर प्रभावित किसानों को मुआवजा देना चाहिए।

Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची

Krishi-Vision 2047

Cultivating a Sustainable Future

Join the movement to shape climate-resilient agriculture in Bharat. Meet policymakers, scientists, and farmers at Krishi-Vision 2047 a powerful day of ideas, innovation, and impact.