मुंबई, 23 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): पश्चिमी महाराष्ट्र की चीनी मिलें इस सीजन में गंभीर संकट का सामना कर रही हैं क्योंकि पड़ोसी राज्य कर्नाटक में गन्ने की पेराई (क्रशिंग) जल्दी शुरू हो गई है।
कर्नाटक सरकार द्वारा मिलों को समय से पहले संचालन की अनुमति देने के बाद, महाराष्ट्र की सीमावर्ती ज़िलों — कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर, धाराशिव और लातूर — के किसान अपने ट्रकों में गन्ना लादकर कर्नाटक के बेलगावी, विजयपुरा और बीदर की मिलों की ओर भेज रहे हैं।
कर्नाटक में जल्दी शुरुआत, महाराष्ट्र की मिलें चिंतित
कर्नाटक के चीनी मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि जल्दी पेराई शुरू करने से किसानों को अधिक सुक्रोज रिकवरी (चीनी की मात्रा) मिलती है और आय में वृद्धि होती है। उन्होंने चेताया कि यदि गन्ने की कटाई में देरी होती है, तो सुक्रोज की मात्रा घट जाती है, जिससे किसानों का नुकसान होता है।
इसके विपरीत, महाराष्ट्र सरकार ने पेराई सत्र की आधिकारिक शुरुआत 1 नवंबर तय की है। चीनी निदेशालय ने सभी मिलों को आदेश दिया है कि वे तय तारीख से पहले काम शुरू न करें, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि सितंबर की भारी बारिश ने कई जिलों में खेतों और परिवहन नेटवर्क को नुकसान पहुँचाया, जिससे देरी अपरिहार्य थी।
किसान इंतज़ार नहीं कर सकते
प्रदेश के किसानों का कहना है कि गन्ना काटने वाले मज़दूरों ने काम शुरू कर दिया है। कर्नाटक की मिलें गन्ना ले रही हैं, इसलिए किसान अब इंतज़ार नहीं करना चाहते। अगर पेराई में देर हुई, तो फसल की गुणवत्ता घट जाएगी।
महाराष्ट्र के कई मिल मालिकों ने राज्य सरकार से 15 अक्टूबर से पेराई की अनुमति देने की मांग की थी ताकि गन्ना अन्य राज्यों में न जाए। लेकिन सरकार ने अपने आदेश में कोई बदलाव नहीं किया है।
कुलमिलाकर, कर्नाटक की मिलों द्वारा जल्दी शुरुआत से महाराष्ट्र की मिलों पर कच्चे माल की कमी का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पश्चिमी महाराष्ट्र के कई चीनी कारखानों को पेराई सत्र में देरी या उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति दोनों राज्यों के बीच गन्ना प्रतिस्पर्धा को और बढ़ा सकती है।
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