Maharashtra : महाराष्ट्र में बनेंगे किसान मॉल: कृषि विभाग की अनोखी पहल, सीधे उपभोक्ता से जुड़ेंगे किसान

मुंबई : अब जल्द ही महाराष्ट्र (Maharashtra)में पारंपरिक शॉपिंग मॉल्स का एक नया और अनोखा रूप देखने को मिलेगा। राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने ऐलान किया है कि कृषि विभाग प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में किसानों के लिए विशेष शॉपिंग मॉल्स की स्थापना करने की योजना पर काम कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य है किसानों को उनकी उपज का सीधा और उचित मूल्य दिलाना, और उन्हें बिचौलियों की भूमिका से मुक्त करना।

योजना का प्रारूप :

इस अभिनव पहल के तहत महाराष्ट्र कृषि विभाग प्रदेश में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP मॉडल) के अंतर्गत मॉल्स का निर्माण करेगा। इन मॉल्स में किसान अपने खेतों से सीधे उपभोक्ता तक उत्पाद बेच सकेंगे, जिससे न केवल उन्हें बेहतर दाम मिलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी ताज़ा और भरोसेमंद उत्पाद प्राप्त होंगे।

मंत्री कोकाटे ने कहा, “राज्य में किसानों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है उनकी उपज का सही मूल्य न मिलना। इस नई योजना के माध्यम से हम इस समस्या को काफी हद तक हल कर सकते हैं।”

भूमि का उपयोग :

कृषि विभाग के पास वर्तमान में पूरे महाराष्ट्र में लगभग 35,000 एकड़ भूमि है, जिसमें कई हिस्से अब तक उपयोग में नहीं आ पाए हैं या अतिक्रमण की चपेट में हैं। पुणे, सोलापुर, नासिक, नागपुर जैसे शहरों में विभाग के पास कई मूल्यवान भूखंड हैं। विभाग की योजना है कि इन्हीं भूखंडों का उपयोग कर विशेष मॉल्स का निर्माण किया जाए।

कैसे काम करेगा पीपीपी (PPP) मॉडल?

इस मॉडल में मॉल का आधा हिस्सा (50%) निजी कंपनियों और व्यवसायियों को वाणिज्यिक उपयोग के लिए दिया जाएगा, जहां वे अपने ब्रांड्स के स्टोर, शोरूम या अन्य दुकानें खोल सकेंगे। यह हिस्सा 30 से 40 वर्षों की लीज पर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य है कि निर्माण और संचालन में निजी निवेश भी जोड़ा जाए, जिससे सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न आए।

वहीं, शेष 50% हिस्से को केवल किसानों, स्वयं सहायता समूहों, किसान उत्पादक कंपनियों और अन्य कृषि आधारित संस्थाओं को आवंटित किया जाएगा। इस खंड में किसान सीधे ग्राहकों को अपनी फसलें, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद और अन्य कृषि-आधारित वस्तुएं बेच सकेंगे।

इस पहल से न सिर्फ किसानों को स्थायी आमदनी का जरिया मिलेगा, बल्कि इससे कृषि विभाग की बेकार पड़ी जमीन का बेहतर उपयोग भी सुनिश्चित होगा। साथ ही, इससे शहरी उपभोक्ताओं को सीधे खेतों से ताजा और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद खरीदने का विकल्प भी मिलेगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह मॉडल सफल होता है, तो यह पूरे देश के लिए एक आदर्श बन सकता है। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव आएगा। साथ ही, यह पहल कृषि क्षेत्र में नवाचार और निजी निवेश को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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