भारतीय मसाला कारोबार पर छाए संकट के बादल

भारतीय मसालों में खतरनाक केमिकल के मिलावट का हवाला देते हुए कई देशों ने इन मसालों पर बैन लगा दिया है। भारत मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक है लेकिन पिछले कुछ दिनों से भारतीय नामी कंपनियों पर लगे बैन से इन उद्योग पर संकट के बादल छा गए हैं। मसाला कंपनियों को निर्यात के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड के मानकों पर खरा उतरने के लिए कई कसौटियों से गुजरना पड़ रहा है। जिस कारण भारतीय मसाला उद्योग के सामने आयात और निर्यात के बीच संतुलन बनाने का संकट पैदा हो गया है। बीते द‍िनों भारत की कुछ नामी मसाला कंपनियों के उत्पाद, मानकों को पूरा नहीं कर पाने के कारण भारतीय मसालों के निर्यात में भारी कटौती हो गई है।

भारत लंबे समय से मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक

भारत में मसाला उद्योग का कुल कारोबार 80 हजार करोड़ रुपये तक है। इस लिहाज से भारत लंबे समय से मसालों का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है। मसालों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की हिस्सेदारी 72 फीसदी तक है। हाल ही में भारत की कुछ बड़ी मसाला कंपनियों के पैकेट बंद मसालों में प्रिजरवेटिव के रूप में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानक से ज्यादा मिलने की शिकायतें मिली थीं।

एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने का हवाला 

एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने से यह सेहत के लिए हानिकारक है। एथीनिल ऑक्साइड से कैंसर होने का खतरा है। इस कारण भारत के मसाले कहीं प्रतिबंध तो कहीं जांच के घेरे में आ गए। इससे न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार बल्कि घरेलू बाजार में भी मसालों की खपत में गिरावट आ गई है। इसकी कीमत 11 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। अकेले यूपी में इससे 4 हजार करोड़ रुपये का झटका लग चुका है।

सिंगापुर, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया में भी जांच के घेरे में मसाले 

भारतीय मसालों में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानकों से 10 गुना तक ज्यादा पाए जाने की शिकायत मिली थी। इसके बाद से प्रतिबंध और जांच का सिलसिला तेज हुआ। पिछली कई सदियों से भारत के मसाला उद्योग की दुनिया भर में साख थी, जिसके बलबूते मसालों के निर्यात में भारत, अव्वल है। मगर अब सिंगापुर, हांगकांग और ऑस्ट्रेलिया ने भी भारतीय मसालों को जांच के दायरे में ले लिया है।

अमेरिका ने दी मसालों के इस्तेमाल की अनुमत‍ि

इससे पहले अमेरिका ने भी भारत के 22 मसालों की जांच शुरू कर दी थी। हालांकि जांच के बाद अमेरिका ने भारत के मसालों को मानकों के मुताबिक बताते हुए इनके इस्तेमाल की अनुमत‍ि दे दी है। उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि अगर इसी तरह जांच का दायरा बढ़ता रहा तो भारतीय मसाला उद्योग के लिए हालात गंभीर हो जाएंगे। मसालों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपये के इंटरनेशनल मार्किट में भारत की हिस्सेदारी लगभग 45 हजार करोड़ रुपये है। जानकारों ने आगाह किया है कि विदेशों में अगर भारतीय मसालों के खिलाफ कोई कार्रवाई आगे भी जारी रहती है, तो इससे इंडियन स्पाइस इंडस्ट्री को 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है।

भारत के मसालों का सबसे बड़ा खरीदार चीन

गौरतलब है कि भारत के मसालों का सबसे बड़ा खरीदार चीन है। इसके बाद दूसरे पायदान पर अमेरिका और तीसरे पायदान पर बांग्लादेश है। इसके अलावा मलेशिया, ब्रिटेन, इंडोनेशिया और नेपाल सहित अरब देश भी भारत से भारी मात्रा में मसाले खरीदते हैं। भारत से निर्यात होने वाले मसालों में जीरा, सौंफ, लाल मिर्च, इलायची, मेथी, धनिया, हल्दी, अजवाइन और जायफल शामिल हैं। अब तो भारत की देसी बुकनू, पुदीना मसाला और करी पाउडर की मांग भी विदेशों में खूब बढ़ रही है।

FSSAI ने  मानकों के उल्लंघन के आरोपों का किया खंडन

भारतीय मसालों पर आरोप है कि सेहत के लिए घातक माने गए एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा तय मानक से 10 गुना ज्यादा मिली है। इसके जवाब में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता एवं मानकों का पालन सुनिश्चित कराने वाली संस्था फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया  यानी FSSAI ने मसालों की पुख्ता जांच के बाद मानकों के उल्लंघन के इन आरोपों का खंडन किया है। इसके बाद ही तमाम देशों ने भारत के मसालों का आयात प्रतिबंधित किए जाने के बजाय उन्हें जांच के दायरे से गुजारने की रियायत दी है।

भारीय मसालों को बदनाम करने के पीछे चीन का हात 

इस बीच मसाला उद्योग ने इस घटनाक्रम को चीन की साजिश का भी हिस्सा बताया है। उनकी दलील है कि चीन मसाला मार्केट पर नजर लगाए हुए है। इसलिए भारत के मसालों का सबसे बड़ा आयातक होने के बावजूद चीन भारतीय मसाला इंडस्ट्री पर दबाव बनाने के लिए मानकों के उल्लंघन के आरोपों की जद में लेना चाहता है।

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