Agri Business: सरकार ने अगस्त के लिए 22.5 लाख टन चीनी कोटा जारी किया; कीमतों में तेजी की आशंका

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नई दिल्ली, 29 जुलाई (कृषि भूमि डेस्क):

केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं की मांग और आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए अगस्त 2025 के लिए चीनी का मासिक कोटा बढ़ाकर 22.5 लाख टन निर्धारित किया है। यह घोषणा खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय के बावजूद घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आने की संभावना है।

 

कोटा बढ़ा, लेकिन बाजार में चिंता बरकरार

जुलाई महीने के लिए निर्धारित कोटा 21.5 लाख टन था, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार ने एक लाख टन की बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी आगामी त्योहारी सीजन — विशेष रूप से रक्षाबंधन और जन्माष्टमी — के चलते संभावित मांग को देखते हुए की गई है।

हालांकि, उद्योग से जुड़े जानकारों का मानना है कि मांग के अनुपात में आपूर्ति सीमित बनी हुई है और आगामी महीनों में चीनी की खुदरा कीमतों में 2 से 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक की वृद्धि संभव है।

 

क्यों बढ़ सकती हैं कीमतें?

  • महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में मानसून की अनियमितता ने फसल पर असर डाला है, जिससे गन्ने की उपलब्धता घटने की आशंका है।
  • एक्सपोर्ट प्रतिबंधों के बावजूद घरेलू दबाव: सरकार ने चीनी के निर्यात पर नियंत्रण रखा हुआ है, लेकिन इथेनॉल उत्पादन की प्राथमिकता के चलते घरेलू आपूर्ति पर दबाव है।
  • त्योहारी मांग: अगस्त से लेकर अक्टूबर तक के महीनों में मिठाइयों, पेय पदार्थों और प्रसंस्करण उद्योग में चीनी की मांग परंपरागत रूप से उच्च स्तर पर रहती है।

 

सरकारी रुख और नियंत्रण

खाद्य मंत्रालय (Ministry of Food) ने स्पष्ट किया है कि वह स्थिति पर निगरानी रखे हुए है और यदि आवश्यक हुआ तो कोटे में और बढ़ोतरी की जा सकती है। मंत्रालय का उद्देश्य है कि आम उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर चीनी उपलब्ध हो और किसी प्रकार की कालाबाजारी या जमाखोरी पर सख्त नियंत्रण रखा जाए।

 

बाजार प्रतिक्रिया

घोषणा के तुरंत बाद एनसीडीईएक्स (NCDEX) और थोक बाजारों में चीनी की भाव थोड़े मजबूत हुए। दिल्ली और कोलकाता जैसे प्रमुख उपभोक्ता बाजारों में चीनी के थोक भाव ₹3,850 से ₹3,950 प्रति क्विंटल के स्तर पर दर्ज किए गए, जो पिछले सप्ताह की तुलना में ₹20–30 प्रति क्विंटल ऊंचे हैं।

कुलमिलाकर, सरकार का कोटा बढ़ाने का कदम संतुलन बनाने की दिशा में है, लेकिन आपूर्ति-संबंधी चुनौतियों और बढ़ती मांग के चलते कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। उपभोक्ताओं को आने वाले हफ्तों में थोड़ी महंगी चीनी का सामना करना पड़ सकता है।

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