Andhar Pradesh

गुंटूर, 13 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के किसानों का आक्रोश एक बार फिर सतह पर आ गया है। जमीन देने वाले किसानों ने सरकार को 10 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी लंबित समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत करेंगे।

रविवार को गुंटूर में आयोजित संयुक्त कार्य समिति (JAC) की बैठक में किसानों और नेताओं ने एकजुट होकर सरकार पर आरोप लगाए कि 15 महीने बीत जाने के बावजूद, ना तो एन्युइटी भुगतान हुआ है और ना ही वापसी योग्य प्लॉट्स का उचित आवंटन। इसके अलावा, सड़क संरेखण में गड़बड़ी और एफएसआई नीतियों की मनमानी किसानों के गुस्से की बड़ी वजह बनी हुई हैं।

बैठक के दौरान टीडीपी नेताओं धनकुला रामाराव, मडाला श्रीनिवास, बेलमकोंडा नरसिम्हा राव और करुमंची नरेंद्र सहित भाजपा नेता जम्मूला श्याम किशोर और पुव्वडा सुरेंद्र मौजूद रहे। इन नेताओं ने सीआरडीए में व्यापक भ्रष्टाचार और किसानों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये की बात करते हुए सरकार को चेताया कि अब और चुप्पी नहीं साधी जाएगी।

रामाराव ने कहा कि सरकार की उदासीनता ने उन किसानों को गहरा आघात पहुंचाया है जिन्होंने राजधानी के निर्माण के लिए अपनी जमीनें दान दी थीं। मडाला श्रीनिवास ने साफ किया कि यदि 10 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री या नगर प्रशासन मंत्री किसानों की JAC से मुलाकात नहीं करते, तो वे अगला कदम उठाएंगे।

भाजपा नेता श्याम किशोर ने सरकार की निष्क्रियता को उन किसानों के साथ धोखा बताया जो आंदोलन का हिस्सा थे। पुव्वडा सुरेंद्र ने कहा कि सरकारी मशीनरी कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रही है, जबकि असली त्याग करने वाले किसान आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि सरकार को JAC के साथ तत्काल बैठक बुलाकर लंबित मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। साथ ही, किसानों ने हर दो महीने में एक अनिवार्य समीक्षा बैठक की मांग की है, ताकि प्रगति की निगरानी हो सके।

अंत में किसानों ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमने लंबे समय तक संयम रखा है, लेकिन अब धैर्य टूट रहा है। अगर सरकार ने हमें नजरअंदाज किया, तो हम सभी ज़मीनदाताओं के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।”

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