वाराणसी, 6 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): वाराणसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) में तीन दिवसीय ‘डायरेक्ट-सीडेड राइस कॉन्क्लेव 2025′ रविवार को शुरू हुआ। इस सम्मेलन में वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, उद्योग प्रतिनिधियों और किसान संगठनों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य जलवायु-अनुकूल चावल की खेती में इनोवेशन को को बढ़ावा देना है।
‘डायरेक्ट-सीडेड राइस: प्रगति, दृष्टि और बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए नीतिगत मार्ग’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन सत्र IRRI की महानिदेशक यवोन पिंटो की अध्यक्षता में हुआ, जबकि श्रीलंका के कृषि मंत्रालय के सचिव डीपी विक्रमसिंघे ने सह-अध्यक्षता की।
विशेषज्ञों ने बताया कि डीएसआर पद्धति न केवल जल उपयोग में 20-40% तक की कमी, श्रम लागत में 25-30% की बचत और मीथेन उत्सर्जन में 40% तक की गिरावट लाने में सक्षम है, बल्कि यह खेती की लाभप्रदता को भी बढ़ावा देती है।
भारत, कंबोडिया, वियतनाम और श्रीलंका के विशेषज्ञों ने साझा किया कि मशीनीकरण, सटीक कृषि तकनीक, डीएसआर-अनुकूल किस्मों और जल प्रबंधन जैसे उपाय अपनाकर इस पद्धति को व्यापक स्तर पर लागू किया जा सकता है।
यवोन पिंटो ने कहा,
“सीधे बीज वाला चावल अब भविष्य की अवधारणा नहीं रह गया है, यह आज की कृषि चुनौतियों के लिए एक सिद्ध समाधान बन चुका है। डीएसआर को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान, नीति और व्यापार मॉडल का समन्वय आवश्यक है।”
सम्मेलन में वीरेंद्र कुमार ने बताया कि डीएसआर कॉनसोर्टियम का तीसरा चरण अब “इनोवेशन , साझेदारी और मज़बूत निगरानी” के माध्यम से इस पद्धति को प्रायोगिक स्तर से लेकर व्यावहारिक भू-दृश्य स्तर तक ले जाने पर केंद्रित है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को एक विशेष सत्र में भाग लेंगे, जो राज्य के कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। इस सत्र में प्रदेश की ऐतिहासिक कृषि उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ 2030 तक उत्तर प्रदेश को वैश्विक खाद्य केंद्र के रूप में स्थापित करने की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी।
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