लखनऊ, 26 नवम्बर, 2025 (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘वोकल फॉर लोकल‘ (Vocal for Local) विजन को साकार करते हुए आयोजित खादी महोत्सव 2025 स्थानीय कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों के लिए एक बड़ा बाज़ार बनकर उभरा है। इस महोत्सव ने न केवल खादी वस्त्रों को बल्कि रेशम, अचार, मुरब्बा, और हस्तशिल्प जैसे पारंपरिक उत्पादों को भी व्यापक मंच प्रदान किया है, जिससे उनकी बिक्री में रिकॉर्ड तेज़ी आई है।
बिक्री का बूम: आंकड़े क्या कहते हैं?
लखनऊ में चल रहे इस दस दिवसीय उत्सव में उपभोक्ताओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। शुरुआती दिनों में ही बिक्री के जो आंकड़े सामने आए हैं, वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक हैं:
रिकॉर्ड बिक्री: महोत्सव के दौरान अब तक लगभग ₹27.34 लाख रुपए की बिक्री दर्ज की जा चुकी है।
उत्साह: क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम, ग्रामोदय संस्थान और स्वयं सहायता समूह (SHG) के स्टॉलों पर ऊनी, सूती और रेशम के उत्पादों के साथ-साथ खाद्य उत्पादों (जैसे अचार, मुरब्बा, हर्बल उत्पाद) को खरीदने के लिए लोगों का ज़बरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है।
यह बिक्री प्रदर्शित करती है कि जनता अब स्वदेशी उत्पादों और पारंपरिक शिल्पों के प्रति कितनी जागरूक और आकर्षित हो रही है।
उत्पादों की विविधता और ODOP का प्रदर्शन
इस महोत्सव में प्रदेश के विभिन्न जिलों से 160 से अधिक उद्यमी भाग ले रहे हैं।7 यह उत्सव उत्तर प्रदेश की समृद्ध कला और कारीगरी की पहचान को प्रदर्शित कर रहा है:
परिधान: हाथ से काते गए खादी और रेशम के आकर्षक वस्त्र, सदरी, और वाराणसी की रेशमी साड़ियाँ आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
हस्तशिल्प और कला: सहारनपुर का नक्काशीदार फर्नीचर, भदोही की कालीनें और माटी कला उत्पाद (मिट्टी के बर्तन) भी बड़ी संख्या में बिक रहे हैं।
खाद्य और औषधीय उत्पाद: प्रतापगढ़ के प्रसिद्ध आंवला उत्पाद, लखनऊ की रॉयल हनी (शहद) और विभिन्न प्रकार के अचार-मुरब्बा जैसे कृषि आधारित उत्पादों की भी मांग तेज़ है।
उद्यमिता को आधुनिक मंच और उपकरण
योगी सरकार का उद्देश्य इस महोत्सव को केवल बाज़ार तक सीमित रखना नहीं है, बल्कि ग्रामीण उद्यमियों को भविष्य के लिए तैयार करना भी है।
कौशल विकास: महोत्सव के दौरान ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग और उत्पाद पैकेजिंग पर आधारित कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसका लक्ष्य उद्यमियों को अपने उत्पादों को स्थानीय बाज़ारों से निकालकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाना है।
आधुनिक उपकरणों का वितरण: ग्रामीण कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए दोना बनाने वाली मशीनें, पॉपकॉर्न यूनिट और विद्युत चालित कुम्हार चाक जैसे आधुनिक उपकरण भी लाभार्थियों को वितरित किए जा रहे हैं।
यह पहल ग्रामीण और कुटीर उद्योगों में तकनीकी नवाचार (technical innovation) को बढ़ावा देगी, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा और ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। खादी महोत्सव यह संदेश दे रहा है कि परंपरा और प्रौद्योगिकी के संगम से ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार किया जा सकता है।9
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