आम ने बनाया ख़ास, ऑनलाइन बिक्री से कमाएं 5 लाख

आम का सीजन शुरू हो चूका है। देश कई मंडियों में आम नजर आने लगे हैं। हांलाकि शुरूआती सीजन में आम के दाम हजारों में होते हैं लेकिन आम के शौकीनों के लिए हजार क्या लाख क्या। वैसे शुरूआती सीजन में आम के दाम से इसके उत्पादक भी लाखों की कमाई आसानी से कर लेते हैं। ऐसे ही एक किसान मध्य्प्रदेश से हैं जिन्होंने पहले ही सीजन में सिर्फ ऑनलाइन बिक्री से तगड़ा मुनाफा कमा लिया है।

ऑनलाइन बिक्री से 5 लाख का मुनाफा

आम की ऑनलाइन बिक्री भी इनदिनों जोरो पर हैं। लोगों को घर बैठे सही दाम में अच्छी क़्वालिटी का आम मिल जाएँ तो कौन नहीं खरीदेगा।मध्य्प्रदेश के रहने वाले किसान युवराज सिंह ने एक ही सीजन में 5 लाख रुपए के आम ऑनलाइन ही बेच डाले। युवराज सिंह के बगीचे में आम के दो हजार पेड़ है। मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के इस किसान ने आम की खेती करके अपनी तक़दीर ही बदल डाली।

युवराज सिंह के बगीचे में 26 वैरायटी के आम के पेड़

किसान युवराज सिंह के बगीचे में लंगड़ा ,केसर ,चौसा ,सिंदूरी ,राजापुरी ,हापुस जैसे 26 वैरायटी के आम के पेड़ लगे हैं। इसलिए उनका बगीचा अन्य लोगों से अलग हैं और यही उनकी आय बढ़ने का राज भी हैं। युवराज सिंह का कहना हैं कि इतनी किस्मों के आम के बावजूद सबसे ख़ास नूरजहां हैं। वो जिले के कट्ठीवाड़ा से नूरजहां आम का पौधा ग्राफ्टिंग करके लाए थे। उसे अपने बागीचे में लगाया और एक चौथा सा पौधा आज आम के पेड़ के रूप में बनकर तैयार हो गया है। इसकी खासियत है कि एक आम का वजन लगभग तीन किलो होता है,जिसकी कीमत प्रति किलो एक हजार रुपए होती है।

कैसे हुई  शुरआत

प्रदेश में खेती को लाभदायक बनाने के लिए राज्य सरकार कोशिश में जुटी हुई है। इसके लिए बागवानी फसलों की मदद ली जा रही है। कई किसानों ने अपनी मेहनत से इस क्षेत्र में अच्छी कामयाबी भी हासिल की है। इसमें अलीराजपुर के किसान युवराज सिंह भी शामिल हैं। जिले के ग्राम छोटा उंडवा के किसान युवराज ने अपने पुश्तैनी बागीचे को विस्तार देते हुए आम का बागीचा तैयार किया है। उन्हें आम के स्वाद से विशेष पहचान मिली है। क्यंकि उनके बाग में कई किस्मों  के आम के पेड़ हैं।

सीजन से पहले ही बुकिंग फुल 

युवराज सिंह का कहना है कि अलीराजपुर जिले की मिट्टी में नमी इसे आम की खेती के लिए उपयुक्त बनाती है। यहां पैदा होने वाले आम का स्वाद पूरे देश में खास पहचान रखता है। वे पुरे वर्ष अपने फार्म से विभिन्न किस्मों की सीधी बिक्री करते हैं। युवराज बताते हैं की हमारे फार्म के  आम की खासियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीजन से पहले ही हमारे यहाँ ऑनलाइन से आम की बुकिंग फुल हो जाती है।

दादा और पिताजी से ली प्रेरणा

युवराज ने कहा कि मैंने अपने दादा और पिता को हमेशा हमारे बगीचे में काम करते देखा है। उनसे प्रेरणा लेकर सात साल पहले बगीचे में 500 आम के पेड़ लगाए थे। अब यहां केसर और अन्य आम की किस्मों के कुल 2 हजार से ज्यादा पेड़ हैं। देश के विभिन्न शहरों में आयोजित आम उत्सवोंमे कई अवार्ड भी जीते हैं।

बीते वर्ष कितना बेचा आम

युवराज ने पिछले साल ऑनलाइन सेल्स के जरिए 5 लाख रुपए की बिक्री की थी। इसके अलावा उन्होंने  5-5 किलो के डिब्बे तैयार कर ऑनलाइन और बाजार दोनों जगह बेचे हैं।अलीराजपुर एक आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों की आय का मुख्य स्रोत है। बड़ा बाज़ार होने के कारण लोगों को बेचने के लिए शहर से बाहर नहीं जाना पड़ता।

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