इस साल मसूर का उत्पादन 1.6 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद, सरकार पर कम होगा आयात का बोझ

केन्द्र सरकार और आम जनता के लिए राहत की बात है। असल में वर्ष 2023-24 के रबी सीजन में देश में मसूर दाल का उत्पादन 1.6 करोड़ टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसका कारण बुवाई का अधिक क्षेत्र है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यह जानकारी दी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के रबी सीजन में मसूर का उत्पादन 1.56 करोड़ टन था। दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, भारत दालों की घरेलू कमी को पूरा करने के लिए मसूर और अरहर सहित कुछ दालों का आयात करता है।

सिंह ने ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘इस साल मसूर का उत्पादन सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने वाला है। हमारी दाल का उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होगा और क्षेत्रफल बढ़ गया है। परिदृश्य बदल रहा है। चालू रबी सीजन में, मसूर की फसल के तहत अधिक रकबा लाया गया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 18.3 लाख हेक्टेयर था।

सचिव ने कहा कि देश में सालाना औसतन 2.6 से 2.7 करोड़ टन दालों का उत्पादन होता है। चना और मूंग के मामले में देश आत्मनिर्भर है, लेकिन अरहर और मसूर जैसी अन्य दालों के मामले में, वह अभी भी इसकी कमी को पूरा करने के लिए आयात करता है। उन्होंने कहा कि हालांकि सरकार किसानों को अधिक दलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन खेती के सीमित क्षेत्र को भी ध्यान में रखना होगा। किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन का उल्लेख करते हुए सचिव ने कहा, “मुझे लगता है कि हम पिछले कुछ वर्षों में अच्छा कर रहे हैं। मौसम की गड़बड़ी के बावजूद, हम दालों की कीमतों को उचित नियंत्रण में रखने में कामयाब रहे हैं।

जानिए क्या बोले नेफेड के एमडी

नेफेड के प्रबंध निदेशक रितेश चौहान ने कहा कि हाल ही में शुरू किए गए अरहर खरीद पोर्टल को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा कि पोर्टल शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर पंजीकृत तुअर किसानों के माध्यम से करीब 1,000 टन अरहर की खरीद की गई है। वैश्विक दलहन कार्यक्रम के बारे में जीपीसी बोर्ड के चेयरमैन विजय आयंगर ने कहा कि टिकाऊ खाद्य प्रणालियों के विकास में दालें महत्वपूर्ण हैं। जब भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण की बात आती है तो दालें महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस साल जीपीसी के नई दिल्ली सम्मेलन का समय और स्थान अधिक उपयुक्त नहीं हो सकता है क्योंकि हम वैश्विक दाल उद्योग को जोड़ने और सहयोग करने के लिए एक साथ लाने के बारे में सोच रहे हैं।

 

शेयर :

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें

ताज़ा न्यूज़

विज्ञापन

विशेष न्यूज़

Stay with us!

Subscribe to our newsletter and get notification to stay update.

राज्यों की सूची