इथेनॉल के लिए देश में मक्के की पैदावार बढ़ाएगा भारत

केंद्र सरकार इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मक्का अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत अगले पांच वर्षों में लगभग दस गुना उत्पादन के लक्ष्य के साथ इथेनॉल उत्पादन के लिए मकई के उपयोग को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने की योजना बना रहा है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने पर निर्भरता को कम करना है। इसके तहत केंद्र ने मक्के को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।

24 करोड़ 51 लाख रूपये का प्रावधान

मक्का पर अनुसंधान और प्रसार के लिए 24 करोड़ 51 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) को 15.46 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस राशि का उपयोग संगठन द्वारा 16 राज्यों के 78 जिलों के 15 जलग्रहण क्षेत्रों में मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाएगा।

मक्का रिसर्च को बढ़ाने के लिए 5 करोड़ 32 लाख रुपये

सरकार चाहती है की मक्का अनुसंधान संस्थान मक्के की ऐसी किस्मों की तलाश करें जो कम पानी में जल्दी पक जाती हैं। उनका विचार है कि संबंधित क्षेत्रों में इसकी खेती की जाए और मक्के का उत्पादन बढ़ाया जाये।अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों को युद्ध स्तर पर प्रजातियों पर शोध करने के लिए कहा गया है। हाइब्रिड मक्का के अनुसंधान को बढ़ाने के लिए 5 करोड़ 32 लाख रुपये दिये जायेंगे। वैल्यू चेन को बढ़ाने के लिए 3 करोड़ 73 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।

5 साल में 100 लाख टन का लक्ष्य

कृषि मंत्रालय ने अगले पांच साल में 100 लाख टन का लक्ष्य रखा है। खाद्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इसके लिए केंद्र की ओर से हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। इस साल देश में मक्के का उत्पादन 34 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है।

एमएसपी के माध्यम से मक्के की खरीद

‘नेफेड’ जैसे संगठन और अन्य राज्य स्तरीय संगठन भी किसानों से मक्का खरीदने और इथेनॉल परियोजनाओं को आपूर्ति करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। किसी भी स्थिति में, इन संगठनों की प्राथमिकता मक्का आधारित इथेनॉल परियोजनाओं को पर्याप्त मात्रा में मक्का उपलब्ध कराना होगी। इसके लिए संस्थाएं किसानों से ‘एमएसपी’ के तौर पर मक्का खरीदने की कोशिश करेंगी।

गन्ना आधारित परियोजनाओं की उपेक्षा

चीनी उद्योग का आरोप है कि केंद्र सरकार मक्का आधारित इथेनॉल को प्राथमिकता दे रही है, लेकिन गन्ना आधारित परियोजनाओं की उपेक्षा कर रही है। चीनी उद्योग ने कहा कि हालांकि चीनी उद्योग पर बोझ कम करने के लिए मक्के का इस्तेमाल करना अच्छी बात है, लेकिन इथेनॉल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है क्योंकि केंद्र फिलहाल संभावित काम भी नहीं कर रहा है ।

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