भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन: कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन में सहयोग को मिली नई उड़ान

नई दिल्ली, 5 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): भारत और रूस ने अपनी दशकों पुरानी “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी” को पारंपरिक क्षेत्रों (रक्षा, ऊर्जा) से आगे बढ़ाते हुए अब कृषि, पशुपालन, और मत्स्य पालन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक नई दिशा दी है। 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान, दोनों देशों ने इन क्षेत्रों में द्विपक्षीय व्यापार और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने पर अपनी सहमति दोहराई है।

कृषि क्षेत्र में सहयोग के मुख्य बिंदु

हाल ही में, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने रूसी कृषि मंत्री ओक्साना लुट के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें दोनों देशों ने अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कृषि व्यापार में तेजी लाने पर जोर दिया।

1. डेयरी और मांस उत्पादों का निर्यात

  • भारतीय कंपनियों को बाज़ार पहुंच: भारत ने विशेष रूप से डेयरी और मांस उत्पादों के लिए रूसी बाज़ार में पहुंच के मुद्दों को हल करने का आग्रह किया है। भारत की कई प्रमुख डेयरी कंपनियां, जिनमें अमूल (Amul) भी शामिल है, रूस के FSVPS प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण के लिए लंबित हैं। भारत ने अनुरोध किया है कि डेयरी, भैंस के मांस और मुर्गी पालन क्षेत्रों के लिए लंबित मंजूरी (listing approvals) को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

  • रूस की रुचि: रूसी पक्ष ने भारत से मछली, मांस और डेयरी उत्पादों का आयात बढ़ाने में रुचि व्यक्त की है। रूस, भारत को झींगा (Shrimp) का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी मानता है।

2. तकनीकी और अनुसंधान सहयोग

दोनों देश खाद्य सुरक्षा (Food Security) और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अनुसंधान सहयोग पर सहमत हुए हैं:

  • एक्वाकल्चर टेक्नोलॉजी: भारत ने डीप-सी फिशिंग वेसल्स (गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज), रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम्स (RAS), और बायोफ्लॉक (Biofloc) जैसी उन्नत तकनीकों में सहयोग मांगा है। ये आधुनिक तकनीकें कम जगह और पानी में भी मछली उत्पादन को संभव बनाती हैं।

  • मछली पालन विकास: रूस ने एक संयुक्त तकनीकी परियोजना के माध्यम से ट्राउट उत्पादन को विकसित करने में रुचि दिखाई है, जिससे संयुक्त उद्यम (Joint Ventures) स्थापित हो सकते हैं।

  • पशु स्वास्थ्य और टीका विकास: दोनों पक्षों ने पशु रोगों के प्रबंधन और पशु चिकित्सा टीकों (Veterinary Vaccines) के संयुक्त विकास में सहयोग की संभावनाएं तलाशी हैं।

व्यापार और निवेश लक्ष्य

यह सहयोग ऐसे समय में हो रहा है, जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।

  • व्यापार घाटा कम करना: वर्तमान में, भारत का निर्यात लगभग 4.88 बिलियन डॉलर है, जबकि रूस से आयात (जो मुख्य रूप से कच्चे तेल और उर्वरकों का है) लगभग 63.84 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों में सहयोग बढ़ने से भारत को इस बड़े व्यापार घाटे (Trade Deficit) को कम करने में मदद मिल सकती है।

कुल मिलाकर, भारत-रूस की विशेष साझेदारी अब केवल सामरिक और रक्षा संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर भारतीय किसानों, मत्स्य उद्योग और डेयरी क्षेत्र के लिए नए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और अत्याधुनिक तकनीकें लाने का रास्ता खोल रही है।

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