नई दिल्ली, 10 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): केंद्र सरकार ने उर्वरक बाजार में चल रही अनियमितताओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए हजारों कंपनियों और डीलरों पर कार्रवाई की है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने राज्यसभा में बताया कि अप्रैल से नवंबर के बीच कालाबाजारी, जमाखोरी और खराब गुणवत्ता वाली खाद के मामलों में कुल 5,371 फर्टिलाइज़र लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
नड्डा ने यह जानकारी बीजेपी सांसद किरण चौधरी के सवाल के जवाब में दी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि खाद का वितरण राज्य सरकारों की निगरानी में होता है, और उनके पास कार्रवाई का पूरा अधिकार है। केंद्र आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) के तहत गड़बड़ियों पर सीधे हस्तक्षेप करता है।
कालाबाजारी के मामलों में सबसे बड़ी कार्रवाई
मंत्री नड्डा ने बताया कि 1 अप्रैल से 28 नवंबर के बीच कालाबाजारी से जुड़े मामलों में 5,058 कारण बताओ नोटिस जारी हुए, 442 FIR दर्ज किए गए और कुल 3,732 लाइसेंस रद्द हुए।
ये आंकड़े बताते हैं कि खाद के डायवर्जन और अधिक कीमत वसूली की शिकायतें बढ़ी थीं, जिन पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई की।
जमाखोरी पर भी कड़ी सख्ती
जमाखोरी के मामलों में भी सरकार ने कठोर कदम उठाए:
- 687 कारण बताओ नोटिस
- 202 लाइसेंस रद्द
- 446 FIR दर्ज
केंद्र सरकार का कहना है कि खाद समय पर राज्यों को उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन कई डीलरों ने अनियमितताओं के चलते स्टॉक रोककर कृत्रिम कमी पैदा की।
घटिया गुणवत्ता की खाद पर कार्रवाई
खाद की गुणवत्ता से छेड़छाड़ या मिलावट को लेकर भी व्यापक जांच की गई।
इस श्रेणी में:
- 3,811 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस
- 1,437 लाइसेंस रद्द
- 65 FIR दर्ज
मंत्री के अनुसार, उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत गुणवत्ता की गड़बड़ी को गंभीर अपराध माना जाता है।
डायवर्जन के मामलों में बढ़ती चिंता
कई डीलरों द्वारा सब्सिडी वाले उर्वरकों को कृषि के बजाय औद्योगिक उपयोग में डायवर्ट किया जा रहा था। इसके लिए:
- 3,058 कारण बताओ नोटिस
- 464 लाइसेंस रद्द
- 96 FIR दर्ज की गईं।
7 महीनों में कुल नोटिस 12,814, रद्द लाइसेंस 5,835
नड्डा ने बताया कि कुल मिलाकर पिछले सात महीनों में 12,814 कारण बताओ नोटिस, 5,835 लाइसेंस रद्द और 649 FIR दर्ज की गईं।
इनमें से अकेले 442 FIR कालाबाजारी से जुड़े मामलों में हैं, जो समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
IFMS से रियल टाइम ट्रैकिंग
नड्डा ने बताया कि उर्वरक सप्लाई की निगरानी इंटीग्रेटेड फर्टिलाइज़र मॉनिटरिंग सिस्टम (IFMS) के जरिए रियल टाइम में की जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्यों को पूरी मात्रा में उर्वरक भेजा गया है, फिर भी कई जगहों पर जमाखोरी और डायवर्जन की शिकायतें सामने आई हैं, जिन पर कार्रवाई राज्य सरकारों को करनी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत से ज्यादा बोरी उठाने वाले किसानों पर भी नियंत्रण जरूरी है, क्योंकि इससे वितरण प्रणाली बाधित होती है।
किसानों को मजबूरी में अतिरिक्त उत्पाद बेचने पर भी सवाल
बीजेपी सांसद किरण चौधरी ने चिंता जताई कि कई जगह डीलर किसानों को खाद के साथ अतिरिक्त उत्पाद खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं, जिससे किसान आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। इस पर नड्डा ने आश्वासन दिया कि मंत्रालय डीलरों और कंपनियों के साथ बातचीत कर ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए मानक प्रोटोकॉल बनाने पर विचार करेगा, ताकि किसी भी स्तर पर किसानों को परेशानी न उठानी पड़े।
खाद वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए हजारों लाइसेंस रद्द किए और सैकड़ों FIR दर्ज की हैं। केंद्र का साफ तौर पर कहा है – “किसानों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी, और खाद की कालाबाजारी व मिलावट पर जीरो-टॉलरेंस नीति जारी रहेगी।”
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