EU ने भारतीय निर्यात पर कसी लगाम, बासमती और नॉन-बासमती पर पड़ेगा सीधा असर

नई दिल्ली, 5 दिसंबर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): एक तरफ भारत और यूरोपीय संघ (EU) मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर EU ने भारतीय चावल निर्यातकों की चिंता बढ़ाने वाला एक बड़ा कदम उठाया है। यूरोपीय परिषद और संसद ने भारत समेत एशियाई देशों से होने वाले चावल आयात पर कड़ा नियंत्रण (curb) लगाने के लिए एक विशेष ‘स्वचालित सेफगार्ड मैकेनिज्म’ (Automatic Safeguard Mechanism) लाने पर सहमति दे दी है। इस फैसले का सीधा असर भारत के बासमती और नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर पड़ सकता है।

संरक्षणवादी नीति की ओर EU का कदम

यूरोपीय संघ का तर्क है कि यह कदम उसके घरेलू किसानों और राइस मिलर्स के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, जिन्हें एशियाई देशों से सस्ते आयात के कारण प्रतिस्पर्धा में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालाँकि, भारतीय उद्योग जगत इसे यूरोप की संरक्षणवादी नीति (Protectionist Policy) की ओर एक बड़ा कदम मान रहा है।

क्या है नया सेफगार्ड मैकेनिज्म?

यह नई व्यवस्था टैरिफ रेट कोटा (TRQ) के रूप में काम करेगी।

  • इसके तहत बासमती और नॉन-बासमती दोनों तरह के चावल आयात के लिए एक ऐतिहासिक औसत मात्रा तय की जाएगी।

  • यदि किसी वर्ष आयात उस तयशुदा औसत से अधिक हो जाता है, तो उस अतिरिक्त मात्रा पर स्वचालित रूप से भारी शुल्क (additional duty) लागू हो जाएगा।

  • इस कानून के 1 जनवरी 2027 से प्रभावी होने की संभावना है, जिसके बाद भारतीय निर्यातकों को यूरोपीय बाज़ार में पहुँच बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।

FTA वार्ता का विरोधाभास

भारत और यूरोपीय संघ के बीच FTA वार्ता के 23 में से 11 अध्यायों पर सहमति बन चुकी है। ऐसे समय में चावल जैसे एक प्रमुख कृषि उत्पाद पर इस तरह की कड़ाई अपनाना विरोधाभासी माना जा रहा है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह ऐसा है जैसे “एक दरवाजा खोलना और दूसरा बंद कर देना।” FTA का उद्देश्य व्यापार को सुगम बनाना है, जबकि यह नया नियम व्यापार में अवरोध (barriers) पैदा करेगा और समझौते से मिलने वाले संभावित लाभों को कम कर देगा।

भारत के लिए बढ़ी मुश्किलें

  1. निर्यातकों पर सीधा असर: भारत EU को पैकेज्ड और प्रोसेस्ड चावल का एक महत्वपूर्ण निर्यातक है। नए नियमों से इन उत्पादों के मार्जिन पर सीधा असर पड़ेगा और यूरोपीय बाज़ार कुछ चुनिंदा बड़े व्यापारिक घरानों के नियंत्रण में सिमट सकता है।

  2. गुणवत्ता मानक: यूरोपीय संघ पहले से ही भारतीय चावल में कीटनाशक अवशेषों (pesticide residues) और अफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin) के सख्त मानकों को लेकर आपत्तियाँ उठाता रहा है। नए सेफगार्ड नियम गुणवत्ता के मुद्दों को एक व्यापार बाधा के रूप में और मजबूत कर सकते हैं।

  3. जीआई टैग विवाद: बासमती चावल के भौगोलिक संकेत (GI) को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा विवाद भी FTA वार्ता को प्रभावित करता रहा है। EU का यह नया कदम बासमती के निर्यात को लेकर भारत की स्थिति को और संवेदनशील बना देगा।

भारत को अब FTA वार्ता के दौरान इस संरक्षणवादी कदम को मजबूती से उठाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यापार समझौते से कृषि निर्यातकों को वास्तविक लाभ मिल सके।

आप भारत-यूरोप FTA और बासमती चावल पर विवाद से संबंधित यह वीडियो भी देख सकते हैं: India-Europe की Free Trade Deal में कूदा Pakistan, Basmati Rice पर बड़ी Deal से मचा हड़कंप

यह वीडियो भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे भौगोलिक संकेत (GI) विवाद की जटिलताओं को समझाता है।

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