मुंबई, 11 सितंबर (कृषि भूमि डेस्क):
मसाला बाज़ार में लौंग (Clove) की कीमतें लगातार ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। घरेलू बाजार में पिछले कुछ हफ्तों से लौंग की दरों में स्थिरता दिखाई दे रही है, लेकिन कीमतें अब भी पिछले वर्ष की तुलना में काफी ऊपर चल रही हैं। इसका मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर आपूर्ति की तंगी और आयात लागत में इज़ाफ़ा माना जा रहा है।
वैश्विक आपूर्ति पर दबाव
लौंग के बड़े उत्पादक देशों जैसे इंडोनेशिया, मेडागास्कर और श्रीलंका में उत्पादन सामान्य से कम रहा है। खराब मौसम और कृषि क्षेत्र में आई चुनौतियों ने आपूर्ति शृंखला पर असर डाला है। नतीजतन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में लौंग की उपलब्धता घटी है, जिसका सीधा असर भारत जैसे आयातक देशों पर पड़ा है।
भारतीय बाजार की स्थिति
भारत में लौंग का प्रमुख उपयोग खाद्य मसालों, मिठाइयों और आयुर्वेदिक उत्पादों में होता है। थोक बाजारों में इस समय लौंग की कीमतें ₹900 से ₹1,000 प्रति किलो तक बनी हुई हैं। कई व्यापारियों का कहना है कि आयात में महंगे फ्रेट और सीमित आपूर्ति के चलते कीमतों में गिरावट की संभावना फिलहाल कम है।
मंडीवार मौजूदा लौंग रेट (केरल)
मंडी / जिला | 1 किलो कीमत (₹/किग्रा) | 1 क्विंटल कीमत (₹/100 किग्रा) | टिप्पणी |
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थोडुपुझा (Idukki) | लगभग ₹700 | लगभग ₹70,000 | औसत मूल्य |
कट्टप्पना (Idukki) | लगभग ₹750 | लगभग ₹75,000 | थोड़ा महंगा रेट, गुणवत्ता के कारण |
मांग बनी हुई मजबूत
त्योहारी सीज़न नजदीक होने के कारण घरेलू मांग बढ़ रही है। खासकर मिठाई, बेकरी और मसाला मिश्रण उद्योग में लौंग की खपत बढ़ने की संभावना है। इससे कीमतों को और सहारा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
आगे का रुझान
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैश्विक उत्पादन सामान्य नहीं होता, तब तक घरेलू बाजार में लौंग की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी। अगर आयात बढ़ता है और नई खेप समय पर आती है तो हल्की नरमी संभव है, लेकिन फिलहाल उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को ऊंचे दामों का सामना करना पड़ सकता है।
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