नई दिल्ली, 01 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
देश की प्रमुख कृषि मंडियों में इस सप्ताह चना (काबुली और देशी) की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। बाजार में मध्यम स्तर की मांग बनी हुई है, लेकिन कुछ राज्यों से आई फसल की गुणवत्ता संबंधी समस्याओं के कारण कीमतों में किसी बड़ी तेजी की संभावना कम दिख रही है।
इंदौर, बीकानेर और दिल्ली की मंडियों में चना ₹5,200 से ₹5,400 प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार कर रहा है, जो पिछले सप्ताह के स्तर के करीब है। बेसन मिलों और दाल प्रोसेसरों से कुछ मांग बनी हुई है, लेकिन थोक खरीदार त्योहारी मांग की प्रतीक्षा में हैं। फिलहाल खरीद में सतर्कता बरती जा रही है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से आई कुछ खेपों में नमी और दाने सिकुड़े हुए पाए गए हैं, जिससे मिलर्स उनमें कम रुचि दिखा रहे हैं। यह स्थिति मंडियों में बिकवाली को प्रभावित कर रही है।
ट्रेडर्स के मुताबिक, बाजार में डिमांड बनी हुई है, लेकिन खरीदार केवल अच्छी गुणवत्ता वाले चने की ही मांग कर रहे हैं। जैसे ही कोई खेप मिलों की गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरती, उसका कारोबार रुक जाता है। किसानों द्वारा भी उम्मीद से बेहतर कीमतों की प्रतीक्षा में आवक सीमित रखी जा रही है, जिससे बाजार में आपूर्ति नियंत्रित बनी हुई है।
नाफेड (NAFED) द्वारा रखा गया चना भंडार बाजार को संतुलित रखे हुए है। फिलहाल बड़े पैमाने पर स्टॉक की बिक्री नहीं हो रही है, लेकिन यदि नाफेड द्वारा अधिक मात्रा में स्टॉक जारी किया गया, तो कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। इसके विपरीत, घरेलू खपत स्थिर है और नई फसल अभी दूर है, जिससे कीमतों को कुछ समर्थन मिल रहा है। अगस्त से त्योहारी मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे चने की खपत में तेजी आ सकती है। जब तक गुणवत्ता की समस्याएं बनी रहती हैं, और खरीदार सतर्क रहते हैं, तब तक बाजार सीमित दायरे में ही बना रह सकता है।
सुबोध मिश्रा, कृषि बाजार विश्लेषक, कहते हैं: “चना (Chana) बाजार इस समय संतुलन की स्थिति में है। यदि सरकार हस्तक्षेप करती है या अचानक मांग बढ़ती है, तो भाव में हलचल आ सकती है, लेकिन फिलहाल स्थिरता ही प्रमुख रुख है।”
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