VB-G Ram G Bill संसद में पेश: ग्रामीणों को 125 दिन की रोजगार गारंटी, अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार का दावा

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): सरकार ने आज संसद में ग्रामीण भारत के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’, यानी VB-G Ram G Bill को सदन के पटल पर रखा। यह प्रस्तावित कानून मौजूदा मनरेगा का स्थान लेगा और एक आधुनिक, अधिक उत्पादक तथा पारदर्शी रोजगार व्यवस्था की नींव रखेगा। सरकार का दावा है कि यह विधेयक ग्रामीण श्रमिकों, किसानों और ग्रामीण बाजार – तीनों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है।

मनरेगा की जगह नया कानून क्यों?

मनरेगा की संरचना 2005 की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। तब ग्रामीण अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ अलग थीं और डिजिटलीकरण प्रारंभिक अवस्था में था। पिछले दो दशकों में ग्रामीण भारत में तेज़ बदलाव आए – गरीबी 25.7% से घटकर 4.86% पर आ गई, डिजिटल कनेक्टिविटी सामान्य हो गई और ग्रामीण आजीविकाओं का स्वरूप अधिक विविध हुआ।

इन परिवर्तनों के बीच मनरेगा का खुला, मांग-आधारित ढांचा कई जगहों पर प्रभावी नहीं रह पाया। इसी वजह से सरकार ने एक अधिक स्पष्ट, अनुशासित और राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के अनुरूप रोजगार कानून की आवश्यकता महसूस की।

125 दिनों की गारंटी: मनरेगा से ज़्यादा, अधिक कानूनी सुरक्षा
प्रस्तावित VB-G Ram G Bill ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को वर्ष में 125 दिनों की रोजगार गारंटी देगा जो मनरेगा के 100 दिनों से अधिक है। यदि प्रशासन तय समय में काम उपलब्ध नहीं कराता, तो ग्रामीण श्रमिक को कानूनी रूप से बेरोजगारी भत्ता मिलेगा।

सरकार का कहना है कि यह रोजगार अधिकार केवल वादा नहीं, एक कानूनी सुरक्षा होगा, जिसे किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा

वित्त पोषण में अनुशासन: मांग आधारित मॉडल का अंत
नई व्यवस्था में रोजगार कार्यक्रम का ढांचा बदलकर मांग-आधारित मॉडल से ‘मानक वित्तपोषण’ अपनाया जा रहा है। इससे बजट आवंटन पूर्वानुमेय बनेगा, केंद्र और राज्यों की भूमिकाएं स्पष्ट होंगी और योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी कम होगी।

सरकार का तर्क है कि यह बदलाव रोजगार की गारंटी को कमजोर नहीं करेगा, बल्कि इसे और अधिक सुव्यवस्थित, समयबद्ध और प्रभावी बनाएगा।

टेक्नोलॉजी से पारदर्शिता
मनरेगा में डिजिटल सुधारों के बाद भी फर्जी उपस्थिति, कागजी कार्यवाही की जटिलता और धन के दुरुपयोग जैसी समस्याएँ बनी रहीं। कई राज्यों में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर फंडिंग तक रोकनी पड़ी। VB-G Ram G Bill इन समस्याओं को तकनीक के जरिए संबोधित करेगा।

रियल-टाइम मॉनिटरिंग, AI आधारित जांच, GPS और मोबाइल आधारित कार्य-ट्रैकिंग, साप्ताहिक सार्वजनिक रिपोर्टिंग और हर पंचायत में साल में दो बार सामाजिक अंकेक्षण जैसी व्यवस्थाएं व्यवस्था को अधिक स्वच्छ और विश्वसनीय बनाने के लिए शामिल की जाएंगी। केंद्र और राज्य स्तर पर विशेष स्टीयरिंग कमेटियां भी लगातार निगरानी रखेंगी।

मनरेगा vs VB-G Ram G Bill: क्या है बड़ा अंतर?

श्रेणीमनरेगा (MGNREGA)VB-G Ram G Bill (नया प्रस्तावित कानून)
शुरुआत / संदर्भ2005 में बनी, तब की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों आधारित2025 में प्रस्तावित, डिजिटल ग्रामीण अर्थव्यवस्था और नई जरूरतों पर आधारित
रोजगार गारंटी100 दिन प्रति परिवार125 दिन प्रति परिवार (कानूनी रूप से अधिक मजबूत सुरक्षा)
मॉडल / ढांचापूरी तरह मांग-आधारितमानक वित्तपोषण मॉडल, अधिक अनुशासित और योजनाबद्ध
काम न मिलने पर स्थितिबेरोजगारी भत्ता प्रावधान में है, पर लागू करने में कठिनाईसमय पर काम न देने पर अनिवार्य बेरोजगारी भत्ता, स्पष्ट कानूनी दायित्व
निगरानी प्रणालीकागजी काम, सीमित डिजिटल मॉनिटरिंग; फर्जी उपस्थिति जैसी समस्याएंAI आधारित मॉनिटरिंग, GPS-ट्रैकिंग, रियल-टाइम डैशबोर्ड, अनिवार्य सोशल ऑडिट
भुगतान प्रणालीई-भुगतान 99.99%, लेकिन देरी आमडिजिटल भुगतान के साथ सख्त समयसीमा, जवाबदेही बढ़ाई जाएगी
संपत्तियों का प्रकारग्रामीण स्तर पर बनाई गई परिसंपत्तियाँ स्थानीय जरूरतों पर आधारितराष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना संग्रह के तहत पंजीकरण; PM Gati Shakti से लिंक
महिलाओं की भागीदारी56.7% तक बढ़ी, पर राज्यों में असमानताअधिक संरचित भागीदारी का लक्ष्य, तकनीकी निगरानी से पारदर्शिता
श्रम उपलब्धताकृषि सीजन में श्रमिकों की कमी की शिकायतेंबुवाई और कटाई के दौरान 60 दिनों तक कार्य बंद, कृषि को प्राथमिकता
फंडिंगकेंद्र और राज्यों के बीच जटिलता; कई बार फंड रोकपूर्वानुमेय बजट, स्पष्ट उत्तरदायित्व विभाजन
अनियमितताएँकई राज्यों में गड़बड़ियां, फंड मिसयूज़ की घटनाएँAI+सामाजिक अंकेक्षण से फर्जीवाड़ा नियंत्रण पर जोर
उद्देश्य की प्रकृतिमुख्यतः तात्कालिक मजदूरी सहायतातात्कालिक रोजगार + दीर्घकालिक आर्थिक परिसंपत्तियां + ग्रामीण समृद्धि
समग्र दृष्टिगरीबी उन्मूलन और रोजगाररोजगार + अवसंरचना + कृषि सपोर्ट + भविष्य के लिए लचीला ग्रामीण ढांचा

परिसंपत्तियों को राष्ट्रीय विकास रणनीति से जोड़ने की योजना
नए बिल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक यह है कि इसके तहत बनने वाली सभी परिसंपत्तियों को ‘विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना संग्रह’ में दर्ज किया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बनने वाली सड़कें, जल संरक्षण संरचनाएं, भंडारण सुविधाएं, बाजार कनेक्टिविटी और सिंचाई व्यवस्थाएं राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति का हिस्सा बन जाएंगी। पंचायतों द्वारा तैयार ‘विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं’ को सीधे PM Gati Shakti प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा, ताकि स्थानीय योजनाएं राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप आगे बढ़ सकें।

कृषि क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष लाभ
किसानों को भी नए कानून से प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। बुवाई और कटाई के मौसम में 60 दिनों तक सभी सार्वजनिक कार्य रोक दिए जाएंगे, जिससे कृषि मजदूरों की कमी नहीं होगी। इससे ग्रामीण श्रम बाजार में संतुलन आएगा। जल संरक्षण और सिंचाई परियोजनाओं से भूजल स्तर सुधरेगा, जबकि भंडारण और बाजार ढांचे की मजबूती किसानों की लागत और नुकसान दोनों को कम करेगी। बाढ़ नियंत्रण, जल निकासी और मिट्टी संरक्षण के कार्य फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से भी बचाएंगे।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति
सरकार का कहना है कि यह कानून केवल तात्कालिक मजदूरी का साधन नहीं होगा, बल्कि दीर्घकालिक ग्रामीण समृद्धि की नींव रखेगा। टिकाऊ परिसंपत्तियां नए आय स्रोत बनाएंगी, स्थानीय व्यापार और अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा और ग्रामीण खपत मजबूत होगी। इससे शहरों की ओर पलायन में भी कमी आने की उम्मीद है।

मनरेगा की तुलना में कहाँ बेहतर?
VB-G Ram G Bill को मनरेगा की सीमाओं को दूर करने वाला, अधिक आधुनिक और सक्षम कानून माना जा रहा है। रोजगार के अधिक दिन, तकनीकी पारदर्शिता, राष्ट्रीय विकास ढांचे से तालमेल, स्पष्ट वित्त पोषण और सख्त जवाबदेही—इन सभी के जरिए सरकार इसे ग्रामीण भारत के लिए एक नई पीढ़ी का रोजगार कानून बताती है।

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