लखनऊ, 29 नवम्बर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): उत्तर प्रदेश, जिसे भारत का अन्न भंडार भी कहा जाता है, में रबी की बुवाई का मौसम अपने चरम पर है। यह वह समय है जब प्रदेश का किसान अपनी मिट्टी से सोना उगाने की तैयारी करता है, और इस पूरी प्रक्रिया में गेहूँ की फसल केंद्रीय भूमिका निभाती है। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष किसानों को उन्नत खेती की ओर प्रेरित करने और उनकी उत्पादन लागत को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सात लाख क्विंटल से अधिक सब्सिडीयुक्त गेहूँ के बीज का वितरण एक महत्वाकांक्षी योजना रही है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के कोने-कोने तक उच्च गुणवत्ता वाले बीज पहुंचाना था। अब, चूंकि रबी की बुवाई का सर्वोत्तम समय तेज़ी से बीतता जा रहा है, कृषि विभाग ने घोषणा की है कि यह रियायती बीज प्राप्त करने का अंतिम अवसर है।
आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम
यह योजना केवल बीज बांटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है। जब एक किसान को रियायती दर पर, यानी बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर, सरकारी मुहर वाला उच्च गुणवत्ता का बीज मिलता है, तो उसकी उत्पादन लागत सीधे तौर पर कम हो जाती है। इसके अलावा, ये बीज अक्सर रोग प्रतिरोधी होते हैं और इनकी अंकुरण दर बेहतर होती है, जिससे फसल का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अपने आप बढ़ जाता है। इस तरह, किसान न केवल पैसा बचाता है, बल्कि अपनी उपज की गुणवत्ता भी सुधारता है, जो अंततः उसे बाज़ार में बेहतर दाम दिलाती है।
लाभ उठाने का अंतिम मौका
सात लाख क्विंटल की यह संख्या प्रदेश में कृषि सुधार के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है। यह वितरण व्यापक स्तर पर हुआ है, लेकिन भारतीय कृषि की विविधता और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण, अभी भी कई छोटे और सीमांत किसान बचे हो सकते हैं जो इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाए हैं। अब, जब मौसम सर्द हो रहा है और बुवाई की समय-सीमा समाप्त होने वाली है, तो किसानों के पास जरा भी विलंब करने की गुंजाइश नहीं है। कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूँ की बुवाई के लिए नवंबर का महीना सबसे उपयुक्त होता है, और इसके बाद की गई बुवाई में अक्सर पैदावार घट जाती है। इसलिए, सरकार का यह ‘अंतिम अवसर’ का आह्वान वास्तव में समय की नजाकत को देखते हुए दिया गया एक महत्वपूर्ण संदेश है।
अक्सर देखा जाता है कि जब वितरण अपनी समाप्ति की ओर होता है, तो वितरण केंद्रों पर अंतिम समय की भीड़ बढ़ जाती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे आवश्यक दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड, खसरा-खतौनी की प्रति और बैंक पासबुक की फोटोकॉपी तैयार रखें। विभाग को भी चाहिए कि वह इस अंतिम चरण में सरलता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे, ताकि कोई भी किसान केवल कागजी कार्यवाही की जटिलता के कारण वंचित न रह जाए। विशेषकर, उन किसानों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जो दूरस्थ क्षेत्रों में रहते हैं या जिन्हें तकनीकी जानकारी कम है। उनके लिए विशेष शिविरों का आयोजन और त्वरित सत्यापन की प्रक्रिया अपनाना अनिवार्य है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को आगामी रबी सीजन के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने का सराहनीय प्रयास किया है। सात लाख क्विंटल से अधिक बीज का वितरण एक बड़ी उपलब्धि है, जो प्रदेश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि को सुनिश्चित करने में सहायक होगा। लेकिन अब यह पूरी तरह से किसानों पर निर्भर करता है कि वे इस अंतिम चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं। यह बीज केवल एक वस्तु नहीं है, बल्कि आने वाले कल की आर्थिक स्थिरता और उनके परिवार की खुशहाली का आधार है। इसलिए, प्रदेश के हर अन्नदाता को बिना किसी देरी के इस अंतिम अवसर का लाभ उठाना चाहिए और एक समृद्ध और रिकॉर्ड तोड़ गेहूँ की फसल सुनिश्चित करनी चाहिए। कृषि जगत में कहा जाता है कि ‘समय पर बोया गया बीज, सोने की तरह फल देता है’, और इस समय की महत्ता को पहचानना ही किसान की सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।
===
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45
(शब्द गणना: लगभग 510 शब्द)