भोपाल, 12 नवंबर 2025 (कृषि भूमि ब्यूरो):: मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने अपनी चल रही भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत प्रदेश के सोयाबीन किसानों के खाते में 13 नवंबर 2025 को ₹300 करोड़ की राशि ट्रांसफर करने का फैसला किया है। यह योजना विशेष रूप से सोयाबीन की खरीद कीमत एवं समर्थन मूल्य (MSP) के बीच हुए अंतर को भरने के लिए लागू की गई है।
योजना का उद्देश्य एवं पृष्ठभूमि
मध्य प्रदेश सरकार ने बताया है कि इस वर्ष सोयाबीन के लिए आधारित मॉडल रेट व अन्य प्रावधान तय किए गए हैं ताकि किसानों को MSP से कम दाम मिलने पर उन्हें राहत मिल सके।
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) सोयाबीन के लिए इस बार तय है ₹5,328 प्रति क्विंटल।
मॉडल रेट के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि यदि किसानों को मंडियों में MSP से कम मिले, तो उनका अंतर राशि बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाए।
इस बार सोयाबीन के लिए शुरुआत इकलौती फसल के रूप में की गई है, जिसमें किसानों को बेहतर लाभ मिलने की उम्मीद जताई गई है।
13 नवंबर को क्या होगा
इस तिथि को लगभग 1.32 लाख किसानों के बैंक खातों में सिंगल-क्लिक के माध्यम से इस राशि का ट्रांसफर होगा।
* मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप ने बताया कि अब तक इस योजना के अंतर्गत लगभग 1.60 हज़ार (1.6 लाख) किसानों ने लगभग 2.70 लाख टन सोयाबीन बेच दी है।
* उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत प्रति क्विंटल लगभग ₹1,300 का लाभ मिलेगा।
प्रमुख प्रावधान एवं खरीद-प्रक्रिया
सोयाबीन की बिक्री इस वर्ष उस अवधि में होगी जो सरकार ने निर्धारित की है – 24 अक्टूबर 2025 से लेकर 15 जनवरी 2026 तक।
किसानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है, जो करना है : पोर्टल, ई-उपजरण पोर्टल, CSC केंद्र आदि से।
इस वर्ष “मॉडल रेट” की गणना राज्य के भीतर मंडियों में बिक रही सोयाबीन के 14-दिवसीय औसत भाव से की जाएगी।
सरकार ने अब तक 350 से अधिक खरीद केंद्र स्थापित किए हैं तथा 15 किमी से अधिक दूरी पर रहने वालों को परिवहन सब्सिडी की व्यवस्था भी की है।
किसानों को होनेवाला लाभ
किसानों को समीचीन दाम नहीं मिलने पर राहत मिलेगी, उन्हें MSP-मूल्य के करीब पहुँचने का अवसर मिलेगा।
भुगतान सीधे बैंक खाते में होगा, जिससे बिचौलियों का प्रभाव कम होगा।
सरकार ने प्रतिदिन मॉडल रेट जारी करने की व्यवस्था की है, जिससे मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता बढ़ गई है।
किसानों के लिए चुनौतियाँ
एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ किसानों ने शिकायत की है कि मॉडल रेट तथा स्थानीय मंडियों में वास्तविक बिक्री भाव में अंतर है, जिससे लाभ उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल पा रहा।
किसानों को समय-समय पर भुगतान मिलना ज़रूरी है; लेट-लेट ट्रांसफर आने की शिकायतें भी सामने आई हैं।
विशेषज्ञों व सरकार की टिप्पणी
मंत्री चैतन्य कुमार कश्यप ने कहा है: “हमें विश्वास है कि हमारी सरकार किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान कर रही है। भावांतर योजना किसानों के लिए आज विश्वास का प्रतीक बन चुकी है।”
वहीँ, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी किसान को मूल्य में गिरावट के कारण नुकसान न हो।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सोयाबीन किसानों को 13 नवंबर को ₹300 करोड़ राशि भुगतान का निर्णय किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर है। अगर योजनाएं सही तरह से लागू हों, तो किसानों को MSP से कम कीमत मिलने का जोखिम काफी हद तक कम हो जाएगा। हालांकि, सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पंजीकरण, बिक्री प्रक्रिया, भुगतान की गति तथा मॉडल रेट की गणना सही और पारदर्शी हो।
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