Rajasthan : राजस्थान में दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा कदम

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) सरकार ने राज्य में दुधारू पशुओं (Dairy Cattle) की संख्या बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने न केवल किसानों और पशुपालकों (Animal Husbandry) को प्रोत्साहित किया है, बल्कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर इस क्षेत्र को और अधिक विकसित करने पर भी जोर दिया है। इसके तहत सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक को बढ़ावा देने की घोषणा की गई है, जिससे मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी और राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक से दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी

राजस्थान के पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत (Zoraram Kumawat) ने बताया कि सरकार राज्य में दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक को अपनाने पर विशेष ध्यान दे रही है। इस तकनीक की मदद से बछड़ी जन्म लेने की संभावना 85 से 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, जिससे राज्य में अधिक दुधारू पशु तैयार किए जा सकते हैं।

उन्होंने यह बातें बस्सी में गौ सार्ट और सेक्स सोर्टेड सीमन (Sex Sorted Semen) से कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान कही। इस अवसर पर सरकार द्वारा संचालित मंगला पशु बीमा योजना के अंतर्गत गाय और भैंसों की लॉटरी भी निकाली गई। यह योजना किसानों और पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, क्योंकि इसके अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य से अधिक संख्या में गाय और भैंसों का पंजीकरण हो चुका है।

पशुपालकों को मिलेगा अनुदान

पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होगी। फिलहाल, यह तकनीक महंगी होने के कारण सभी पशुपालकों की पहुंच में नहीं है, इसलिए सरकार ने इसे अधिक किफायती बनाने के लिए 75 प्रतिशत अनुदानित दर पर पशुपालकों को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इससे छोटे और मध्यम वर्ग के पशुपालकों को भी इसका लाभ मिलेगा।

नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि

सरकार के इस कदम से पशुपालकों को कई लाभ मिलेंगे। सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक के जरिए मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे नर पशुओं की संख्या में कमी आएगी। आज के दौर में खेतों में बैलों का उपयोग न्यूनतम हो गया है और वे आवागमन के साधन के रूप में भी कम उपयोग किए जाते हैं। ऐसे में यह तकनीक अनावश्यक नर पशुओं की संख्या को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगी।

इसके अलावा, अधिक मादा पशु होने से राज्य में दुग्ध उत्पादन में तेजी से वृद्धि होगी, जिससे पशुपालकों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही, उच्च गुणवत्ता वाले सीमन का उपयोग करने से अधिक दूध देने वाली नस्लों का विकास संभव हो सकेगा। इससे राज्य में दूध उत्पादन क्षमता में सुधार होगा और राजस्थान देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों में अपनी मजबूत स्थिति बना सकेगा।

पशुपालकों की आय में वृद्धि

मादा पशु की संख्या बढ़ने से पशुपालकों को दोहरे लाभ मिलेंगे। एक ओर वे अधिक दूध उत्पादन कर सकेंगे, वहीं दूसरी ओर वे मादा पशुओं को ऊंचे दामों पर बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकेंगे। इससे राज्य के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

राजस्थान सरकार के इन प्रयासों से स्पष्ट है कि वह पशुपालन और दुग्ध उत्पादन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले वर्षों में इस तकनीक के प्रभावी उपयोग से राज्य के किसान और पशुपालक आत्मनिर्भर बनेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

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