मुंबई, 18 अगस्त (कृषि भूमि डेस्क):
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा (Marathwada) क्षेत्र में शनिवार से रविवार तक हुई भारी मानसून (Monsoon) बारिश ने फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। नांदेड़ और हिंगोली जिलों में 65 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई, जिससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। खासकर सोयाबीन (Soya bean) और तूर की फसलें पूरी तरह से पानी में डूब गईं, जिसके चलते किसानों के लिए संकट बढ़ गया है।
वर्षा का सबसे अधिक असर सरसाम (174 मिमी), हमायतनगर (159 मिमी), और कलमनुरी (122 मिमी) में पड़ा। इन इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने न केवल फसलें बर्बाद कीं, बल्कि नदी-नाले उफान पर आ गए, जिससे क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। किसानों ने बताया कि कई खेतों में सोयाबीन और तूवर की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई है, और बर्बादी के कारण उनकी आजीविका पर गहरा असर पड़ा है।
मौसम विभाग ने मराठवाड़ा के कई जिलों में ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है, जिसमें आगामी दिनों में और अधिक बारिश का अनुमान है। इससे राहत और बचाव कार्यों में रुकावट आने की संभावना जताई जा रही है।
महाराष्ट्र सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों को तेज कर दिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने जिले के अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत सामग्री भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, किसानों के नुकसान का सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है, ताकि जल्दी से जल्दी मुआवजा वितरित किया जा सके।
किसानों का कहना है कि यदि आगामी दिनों में बारिश इसी तरह जारी रही, तो कृषि उत्पादन में और गिरावट आ सकती है, जिससे उनकी आजीविका संकट में पड़ जाएगी। उन्होंने सरकार से उचित मुआवजा और सहायता की मांग की है।
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