नई दिल्ली, 19 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):
उत्तर भारत (UP) के कपास उत्पादक राज्यों—हरियाणा, पंजाब और राजस्थान—में इन दिनों कपास (Cotton) की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, प्रमुख स्पिनिंग मिलों की ओर से मांग सीमित रहने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूई की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण स्थानीय मंडियों में कपास की खरीद कमजोर पड़ी है।
पिछले एक सप्ताह में विभिन्न मंडियों में कपास की औसत कीमत 150–200 रुपये प्रति गांठ तक नीचे आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिलों की ओर से नई खेप की बुकिंग फिलहाल कम की जा रही है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर कपड़ा उद्योग में मांग सुस्त बनी हुई है। चीन और बांग्लादेश जैसे बड़े आयातक देशों की ओर से भी फिलहाल ऑर्डर कम मिल रहे हैं।
हरियाणा के हिसार मंडी के एक व्यापारी के अनुसार, “पिछले वर्ष की तुलना में इस बार स्पिनिंग मिलें सतर्क हैं। वे हाथ में ज्यादा स्टॉक नहीं रख रही हैं, जिससे किसानों को तुरंत खरीदार नहीं मिल पा रहे।” इसी तरह राजस्थान के श्रीगंगानगर और पंजाब के बठिंडा क्षेत्र में भी कारोबारियों ने कीमतों में गिरावट की पुष्टि की है।
विश्लेषकों का कहना है कि यदि आगामी त्योहारी सीजन में कपड़ा उद्योग से मांग नहीं बढ़ी, तो कपास की कीमतों पर और दबाव रह सकता है। हालांकि, बारिश की स्थिति सामान्य रहने पर नई फसल की गुणवत्ता बेहतर रहने की उम्मीद है, जिससे आगे चलकर घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में सुधार संभव है।
कुल मिलाकर, फिलहाल उत्तर भारत के किसानों और व्यापारियों को कपास बाजार में मांग की वापसी का इंतजार है, जबकि स्पिनिंग मिलें अंतरराष्ट्रीय संकेतों और घरेलू उपभोग प्रवृत्ति को देखकर ही खरीद बढ़ाने का निर्णय लेंगी।
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