कछुआ संवर्धन में कोंकण का गुहागर अव्वल

कोंकण के तटीय इलाकों में कछुओं का संवर्धन किया जाता है। इस साल कोंकण के गुहागर के तट पर ओलिव रिडेल प्रजाति के कछुओं के सर्वाधिक घोसलें देखे जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में, गुहागर तालुक में समुद्र तट पर तीन स्थानों पर ओलिव रिडले कछुओं द्वारा बनाए गए घोंसलों, अंडों और पैदा किए गए बच्चों की संख्या के आधार पर कहना गलत नहीं होगा की गुहागर कछुओं द्वारा सबसे अधिक पसंद किया जाता है। संभागीय वन अधिकारी दीपक खाड़े ने कहा कि गुहागर ने महाराष्ट्र में कछुआ संरक्षण में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

मादा कछुओं की पसंद बना गुहागर का तटीय इलाका 

मादा ऑलिव रिडले कछुए अंडे देने के लिए हर साल नवंबर से महाराष्ट्र के कोंकण तट पर प्रवेश करती हैं। इस सीज़न में, पहला घोंसला 16 दिसंबर 2023 को गुहागर बाग और गुहागर बारचापट समुद्र तटों पर पाया गया था। अब तक इनमें 223 घोंसले और 23 हजार 18 अंडे मिले। इन अंडों को प्राप्ति तिथि के अनुसार हैचरी में सुरक्षित रखा जाता है।

अब तक अंडों से 1318 कछुए के बच्चे निकले 

पालन-पोषण के बाद ये चूजे घोंसलों से बाहर निकलने लगे हैं। 1 मार्च को 321 कछुओं के बच्चे निकले। ऑलिव रिडले कछुओं का घोंसला बनाने का मौसम मार्च में शुरू होता है। पहली मार्च को बड़ी संख्या में बच्चे पैदा होने से कछुआ प्रेमी, वनकर्मी और वन्यजीव प्रेमी में ख़ुशी का मौहौल है। अब तक अंडों से 1318 कछुए के बच्चे निकल चुके हैं।

अंडों की सुरक्षा के लिए कार्यशालाएं 

जिले में बड़ी संख्या में अंडे देने के लिए विभिन्न तटीय कछुओं का चयन स्थानीय लोगों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। कछुओं के संरक्षण और कछुओं के घोंसले, बच्चों की संख्या आदि के रिकॉर्ड में आधुनिक तरीकों को जोड़ा गया है। कछुओं के अंडों की तकनीकी एवं प्रभावी सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए सीजन की शुरुआत में कंडलवन चैंबर एवं वन विभाग के माध्यम से कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं।

 

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