खाद की कालाबाजारी पर सख्त सरकार, 5 हजार से ज्यादा कंपनियों के लाइसेंस रद्द

Uria news

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस बार कई अहम मुद्दों के बीच खाद की कालाबाजारी और जबरन बिक्री का मामला भी जोर-शोर से उठा है। हाल ही में सदन में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि उर्वरक कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए बड़ी कार्रवाई की गई है। सरकार के मुताबिक, अनियमितताओं के चलते 5,000 से ज्यादा खाद कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं।

यह जानकारी रसायन और उर्वरक मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह संसद में दी गई थी, जिसके बाद यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में आ गया है।

आवश्यक वस्तु है खाद

शिवसेना (UBT) के अहमदनगर से सांसद भाऊसाहेब राजाराम वाकचौरे ने संसद में सवाल उठाया था कि क्या उर्वरक कंपनियां यूरिया और डीएपी के साथ अन्य उत्पादों को जबरन डीलर्स को बेचने के लिए मजबूर करती हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।

इस सवाल के जवाब में रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने स्पष्ट किया कि उर्वरकों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु घोषित किया गया है और ये उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO), 1985 के तहत अधिसूचित हैं।

राज्यों को कार्रवाई का पूरा अधिकार

अनुप्रिया पटेल ने बताया कि मौजूदा कानूनों के तहत राज्य सरकारों को कालाबाजारी और अधिक कीमत वसूली में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है।

सरकार ने कहा कि उर्वरकों की कालाबाजारी या ओवरप्राइसिंग से जुड़ी जो भी शिकायतें उर्वरक विभाग को मिलती हैं, उन्हें संबंधित राज्य सरकारों को भेजा जाता है ताकि आवश्यक वस्तु अधिनियम और FCO के तहत उचित कार्रवाई की जा सके।

टैगिंग और बंडलिंग पर सख्ती

सरकार ने यह भी साफ किया कि यूरिया और डीएपी के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग या बंडलिंग किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। इस संबंध में राज्य सरकारों को नियमित रूप से पत्र लिखकर नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया जाता है।

मंत्रालय ने बताया कि उर्वरक कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे यूरिया और डीएपी के साथ अन्य उत्पादों को जबरन जोड़कर बेचने जैसी गतिविधियों में शामिल न हों। सरकार का कहना है कि किसानों और विक्रेताओं के हितों की रक्षा के लिए नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।

सरकार की इस कार्रवाई को किसानों के लिए राहत भरा कदम माना जा रहा है, वहीं आने वाले समय में उर्वरक बाजार पर निगरानी और कड़ी किए जाने के संकेत भी मिल रहे हैं।

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