बकरी और मुर्गियों को साथ पालकर कमाएं डबल मुनाफा

इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (आईएफएस) से किसानों की आय दोगुनी हो सकती है। इस तरह की फार्मिंग सिस्टम से एक साथ कई तरह के पशुपालन व्यवसाय किये जा सकते हैं। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम तैयार किया है। देखा जाये तो ज्यादातर गांवों में आज भी गाय-भैंस, बकरी और मुर्गियों को संग पाला जाता है।

सीआईआरजी का पायलट प्रोजेक्ट

सीआईआरजी अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चला रहा है। इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी और गावं के साथ साथ शहरों में भी पशुपालन व्यवसाय से किया जा सकता है।

बकरी और मुर्गियां को साथ-साथ रखा जाता है

आईएफएस सिस्ट्म के तहत एक ऐसा शेड तैयार किया जाता है जिसमे बकरी और मुर्गियां को साथ-साथ रखा जाता है। हालांकि दोनों पशुओं के लोहे की एक जाली लगी होती है। जैसे ही बकरियां सुबह चरने के लिए जाती हैं तो जाली में लगा एक छोटा सा गेट खोल दिया जाता है। गेट खुलते ही मुर्गियां बकरियों की जगह पर आ जाती हैं। यहां जमीन पर या लोहे के बने स्टॉल में बकरियों का बचा हुआ चारा मुर्गियां बड़े ही चाव से खाती हैं।

चारे में भी बचत 

हरे चारे में बरसीम, नीम, गूलर जैसी कई पौष्टिक चीजें होती हैं जो बकरियों को कई तरह की बीमारी से बचाती हैं। बकरियों का बचा चारा मुर्गियां खाती हैं। इसके चलते जो मुर्गी दिनभर में 110 ग्राम या 120 ग्राम तक दाना खाती है आईएफएस सिस्टम के चलते मुर्गी की खुराक में 30 से 40 ग्राम दाने की कमी आ जाती है।

चारे के लिए तालाब में उगाएं अजोला 

चारे के तौर पर अजोला बेहतरीन माना जाता है। पानी में उगने वाले अजोला में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। अजोला को उगाना भी आसान है। इसके लिए पानी का एक छोटा सा तालाब बना लें। इसमे थोड़ी सी मिट्टी डालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी मिला दें।

एक बकरी पर पांच मुर्गी पाल सकते हैं

इस सिस्टम के तहत एक बकरी पर पांच मुर्गी पाल सकते हैं। सीआईआरजी ने एक एकड़ के हिसाब से प्लान को तैयार किया है। इस प्लान के तहत बकरियों संग मुर्गी पालने के साथ ही बकरियों की मेंगनी से कम्पोस्ट भी बनाया जा सकता है।

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