नईदिल्ली, 21 नवम्बर, 2025 (कृषि भूमि ब्यूरो): दिल्ली की तिहाड़ जेल, जो देश की सबसे बड़ी जेलों में से एक है, अब सिर्फ सजा काटने का केंद्र नहीं रहेगी। यह जेल अधिकारियों द्वारा एक महत्वपूर्ण और अनूठे सुधार के साथ एक नई पहचान बना रही है – ‘काऊ थेरेपी’। हाल ही में, जेल परिसर में एक नई गौशाला का उद्घाटन किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य अकेलेपन और भावनात्मक तनाव से जूझ रहे कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना है। इस पहल का उद्घाटन दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने बृहस्पतिवार को किया।

क्या है ‘काऊ थेरेपी’?
‘काऊ थेरेपी’ एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध चिकित्सा पद्धति है, जो पशु-सहायता प्राप्त चिकित्सा (Animal-Assisted Therapy) का एक रूप है। जेल अधिकारियों का मानना है कि गायों की देखभाल करने और उनके साथ समय बिताने से कैदियों में शांति, करुणा और जिम्मेदारी की भावना जागृत होती है।
अकेलापन होगा दूर: तिहाड़ जेल के महानिदेशक (कारागार) ने बताया कि कई कैदी ऐसे होते हैं जिनसे कोई मिलने या फोन करने नहीं आता। ऐसे कैदियों के लिए, गायों का स्पर्श और उनकी सेवा एक भावनात्मक सहारा बन सकती है और अकेलेपन की भावना को कम कर सकती है।
मानसिक शांति: गायों के साथ समय बिताना और उनकी निस्वार्थ सेवा करना कैदियों को मानसिक शांति प्रदान कर सकता है, जिससे उनका भावनात्मक तनाव कम होगा और वे एक नई शुरुआत करने का साहस जुटा पाएंगे।
नैतिकता और करुणा: गौ सेवा से कैदियों में नैतिकता और करुणा का भाव जागेगा, जो उनके सुधार और समाज में सफल पुन:एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।
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गौशाला का उद्देश्य
नई गौशाला का उद्घाटन दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना और दिल्ली के गृह मंत्री आशीष सूद ने किया। फिलहाल यहां 10 साहीवाल गायों को रखा गया है, जिसमें भविष्य में और गायों को रखने की क्षमता है।
गौशाला के कई उद्देश्य हैं:
मानसिक स्वास्थ्य सुधार: कैदियों को ‘काऊ थेरेपी’ प्रदान करना।
आय का स्रोत: ग्रामीण पृष्ठभूमि के कैदियों को गायों की देखभाल में लगाया जाएगा, जिससे वे आय कमा सकेंगे और अपने परिवारों को आर्थिक मदद भेज पाएंगे।
देशी गायों का संरक्षण: गौशाला विशेष रूप से देशी नस्ल की गायों, खासकर साहीवाल गायों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करेगी।
समाज में योगदान: यह पहल आवारा पशुओं की देखभाल और संरक्षण के दायरे को भी बढ़ाएगी।
अन्य पहलें:
गौशाला के उद्घाटन के साथ ही, तिहाड़ जेल में कैदियों के कल्याण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) पहलें भी शुरू की गई हैं:
डिजिटल बेकरी: तिहाड़ बेकरी के उत्पादों (जैसे केक और बिस्कुट) को अब ओएनडीसी (ONDC) नेटवर्क और ‘माई स्टोर प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से ऑनलाइन बेचा जाएगा। इससे कैदियों की आय बढ़ेगी और उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम: खाद्य आपूर्ति और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीद फरोख्त को और अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाने के लिए यह प्रणाली शुरू की गई है।
एनजीओ के लिए वेबसाइट: तिहाड़ से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के लिए एक नई वेबसाइट लॉन्च की गई है, जिससे वे अपने प्रोजेक्ट और गतिविधियों को ऑनलाइन साझा कर सकेंगे और पुनर्वास प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
तिहाड़ जेल का यह कदम भारत में जेल सुधारों की दिशा में एक दूरदर्शी और मानवीय प्रयास है। यह पहल दिखाती है कि सजा के साथ-साथ, कैदियों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण पर ध्यान देना भी उतना ही ज़रूरी है ताकि वे जेल से बाहर निकलकर एक बेहतर नागरिक बन सकें।
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