मुंबई, 24 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): घरेलू बाजार में गेहूं के भाव इन दिनों मजबूत बने हुए हैं। नई आवक के बावजूद किसानों की ओर से टाइट सेलिंग देखने को मिल रही है, जिससे बाजार में सप्लाई दबाव सीमित रहा है। इसके साथ ही गेहूं एक्सपोर्ट को लेकर चल रही चर्चाओं ने भी भावों को मनोवैज्ञानिक सपोर्ट दिया है।
ट्रेडर्स के मुताबिक, किसान मौजूदा कीमतों पर जल्दबाजी में बिकवाली नहीं कर रहे हैं और बेहतर रेट की उम्मीद में स्टॉक रोककर रख रहे हैं।
मंडियों में क्या है स्थिति
मंडियों में आज गेहूं के भाव MSP से ऊपर मजबूत बने हुए हैं, खासकर महाराष्ट्र के कुछ बाजारों में यह काफी प्रीमियम स्तर पर ट्रेड हो रहे हैं। गेहूं की टाइट सेलिंग, MSP सपोर्ट और निर्यात चर्चाओं ने भावों को ऊपर पकड़ रखा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं की आवक सामान्य से कम बताई जा रही है। जहां सरकारी खरीद एमएसपी के आसपास सक्रिय है, वहीं खुले बाजार में क्वालिटी गेहूं के लिए प्रीमियम देखने को मिल रहा है।
मिलर्स और प्रोसेसरों की नियमित मांग बनी हुई है, जिससे बाजार में गिरावट का दबाव फिलहाल नहीं बन पा रहा है।
प्रमुख मंडियों में गेहूं के भाव (औसत रेट)
| राज्य/मंडी | आज का गेहूं भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|
| महाराष्ट्र – पुणे (सबसे ऊँचा) | ~₹5,800 † |
| महाराष्ट्र – सोलापुर | ~₹4,015 † |
| महाराष्ट्र – नागपुर | ~₹3,500 † |
| मध्य प्रदेश – प्रमुख | ₹2,800–2,933 † |
| उत्तर प्रदेश/उत्तर भारत औसत | ₹2,500–2,900 † |
| राष्ट्रीय औसत अनुमान | ₹2,250–₹2,721 † |
- पुणे मंडी में गेहूं का भाव सबसे ऊँचा लगभग ₹5,800 प्रति क्विंटल तक देखा गया है।
- महाराष्ट्र में सोलापुर और नागपुर जैसे बाजारों में भी भाव MSP से ऊपर मजबूत बने हुए हैं।
- मध्य प्रदेश और उत्तर भारत की कुछ मंडियों में ₹2,800–2,933 के आसपास भाव रिकॉर्ड किए गए हैं।
बाजार को क्यों मिला सपोर्ट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में हालिया मजबूती और कुछ प्रमुख निर्यातक देशों में सप्लाई से जुड़ी चिंताओं के चलते भारत से सीमित एक्सपोर्ट की संभावना पर चर्चा तेज हुई है।
हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ट्रेड का मानना है कि यदि निर्यात नीति में कोई ढील मिलती है, तो घरेलू बाजार को अतिरिक्त सपोर्ट मिल सकता है।
सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर खरीद जारी रहने से किसानों को एक मजबूत बैकस्टॉप मिल रहा है। इससे बाजार में जबरन बिक्री का दबाव कम हुआ है। एमएसपी और खुले बाजार के भावों के बीच सीमित अंतर भी किसानों को इंतजार करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
बाजार जानकारों के अनुसार, जब तक किसानों की टाइट सेलिंग बनी रहती है, मिलर्स की नियमित मांग जारी रहती है और एक्सपोर्ट को लेकर सकारात्मक संकेत मिलते रहते हैं, तब तक गेहूं के भावों में मजबूती का रुख बना रह सकता है। हालांकि, नई फसल की आवक बढ़ने और नीति से जुड़े किसी भी संकेत पर बाजार की दिशा बदल सकती है।
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