मुंबई, 24 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): महाराष्ट्र सरकार ने खेती को अधिक टिकाऊ, लाभकारी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि राज्य में प्राकृतिक खेती मिशन को और तेज किया जाएगा और अगले दो वर्षों में 25 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को इस दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार का मानना है कि यह पहल किसानों की लागत घटाने, मिट्टी की सेहत सुधारने और जलवायु परिवर्तन के असर से खेती को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएगी।
प्राकृतिक खेती मिशन को क्यों मिल रहा है प्राथमिकता
नागपुर स्थित लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (LIT) में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज खेती कई गंभीर चुनौतियों से गुजर रही है। मिट्टी की गिरती उर्वरता, रासायनिक इनपुट्स की बढ़ती लागत और बदलता जलवायु पैटर्न किसानों पर दबाव बढ़ा रहा है। ऐसे में प्राकृतिक खेती एक व्यावहारिक और दीर्घकालिक समाधान के रूप में सामने आ रही है।
मुख्यमंत्री के अनुसार, यह पद्धति न केवल उत्पादन प्रणाली को संतुलित बनाती है, बल्कि भूमि क्षरण को रोककर भविष्य की कृषि उत्पादकता को भी सुरक्षित रखती है।
प्राकृतिक खेती और सर्कुलर इकॉनॉमी का संयुक्त मॉडल
सरकार इस पहल को केवल खेती तक सीमित नहीं रख रही है। प्राकृतिक खेती के साथ-साथ संस्थागत भागीदारी से सर्कुलर इकॉनॉमी को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है। इस मॉडल के तहत कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव-इनपुट्स और ग्रामीण उद्यमिता से जुड़े क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर ग्रीन जॉब्स सृजित होने की संभावना जताई जा रही है।
सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया आधार मिलेगा और युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
राज्यपाल की पहल से मिशन को मिला नया बल
महाराष्ट्र में प्राकृतिक खेती मिशन को विशेष गति तब मिली, जब राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने मंत्रियों और विधायकों से इसे मिशन मोड में अपनाने की अपील की।
अक्टूबर में मुंबई के राजभवन में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि किसान और नीति-निर्माता जैविक खेती और प्राकृतिक खेती के अंतर को स्पष्ट रूप से समझें।
इसके बाद सरकार ने प्राकृतिक खेती को राज्य की कृषि नीति के केंद्र में लाने का फैसला किया।
कम लागत, बेहतर मिट्टी और टिकाऊ उत्पादन
मुख्यमंत्री फडणवीस लगातार यह रेखांकित कर रहे हैं कि रासायनिक उर्वरकों और हाइब्रिड बीजों के अत्यधिक उपयोग से किसानों की लागत बढ़ी है और मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता कमजोर हुई है।
उनके अनुसार, प्राकृतिक खेती स्थानीय संसाधनों के उपयोग से इनपुट लागत को कम करती है, मिट्टी की जैविक संरचना को पुनर्जीवित करती है और किसानों को बाहरी निर्भरता से मुक्त करती है।
2014 से शुरू हुआ सफर, अब होगा बड़ा विस्तार
महाराष्ट्र में प्राकृतिक खेती मिशन की शुरुआत 2014 में हुई थी। अब तक राज्य में लगभग 14 लाख हेक्टेयर भूमि को इस पद्धति के तहत लाया जा चुका है। अब सरकार ने इसके दायरे को और बढ़ाते हुए 25 लाख हेक्टेयर तक विस्तार का लक्ष्य तय किया है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर खेती पर लगातार बढ़ रहा है—अनियमित बारिश, सूखा और अत्यधिक मौसम घटनाएं किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। उनके मुताबिक, प्राकृतिक खेती ही महाराष्ट्र में जलवायु-सहिष्णु और टिकाऊ कृषि व्यवस्था की मजबूत नींव रख सकती है।
कुलमिलाकर, महाराष्ट्र का प्राकृतिक खेती मिशन अब सिर्फ एक वैकल्पिक प्रयोग नहीं, बल्कि राज्य की दीर्घकालिक कृषि रणनीति बनता जा रहा है। यदि लक्ष्य के मुताबिक इसे लागू किया गया, तो यह मॉडल देश के अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बन सकता है।
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