शिमला, 3 दिसंबर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। हाल ही में, सरकार ने ग्रामीण व्यवसायों के लिए भूमि पट्टे (Land Leasing) के नियमों को आसान बनाने हेतु एक संशोधन विधेयक विधानसभा में पेश किया है। यह पहल उन उद्यमियों के लिए एक बड़ी राहत है जो ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में छोटे उद्योग, होमस्टे या कृषि-आधारित प्रसंस्करण इकाइयाँ (agro-processing units) स्थापित करना चाहते हैं, लेकिन वर्तमान जटिल भूमि कानूनों के कारण ऐसा करने में असमर्थ थे। यह संशोधन विधेयक हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निवेश और नवाचार (innovation) के लिए नए द्वार खोलने की क्षमता रखता है।
वर्तमान में, हिमाचल प्रदेश में भूमि उपयोग और पट्टे से जुड़े नियम काफी कठोर हैं, जिससे राज्य के बाहर के निवेशकों के साथ-साथ स्थानीय उद्यमियों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में दीर्घकालिक व्यवसाय स्थापित करने में भारी मुश्किलें आती हैं। जटिल प्रक्रिया, लंबी कागज़ी कार्रवाई और पट्टे की सीमित अवधि के कारण कई संभावित परियोजनाएँ या तो रुक जाती थीं या राज्य से बाहर चली जाती थीं। सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से इस समस्या को संबोधित करने का लक्ष्य रखा है। इसका मुख्य उद्देश्य भूमि पट्टे की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण युवाओं को अपने पैतृक गाँव के पास ही उद्यमिता (entrepreneurship) को बढ़ावा देने का मौका मिल सके।
इस संशोधन विधेयक से यह उम्मीद की जा रही है कि यह पट्टे की अवधि (Lease Period) को अधिक यथार्थवादी और आकर्षक बनाएगा, जो किसी भी नए उद्यम के सफल होने और लाभ कमाने के लिए आवश्यक है। नियमों में ढील दिए जाने से कृषि-पर्यटन (Agri-Tourism), खाद्य प्रसंस्करण और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में सीधा निवेश (Direct Investment) आकर्षित होगा। ये सभी क्षेत्र हिमाचल की प्राकृतिक संपदा और पारंपरिक कौशल से सीधे जुड़े हुए हैं। इसके परिणामस्वरूप, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन को बल मिलेगा, जिससे पलायन (migration) की समस्या पर भी अंकुश लगेगा। यह एक ऐसा कदम है जो केवल नियम नहीं बदलता, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संरचना (structure) को मजबूत करने और इसे बाज़ार की चुनौतियों के लिए तैयार करने का आधार बनाता है।
मुख्यमंत्री की टिप्पणी
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि धारा 118 में मूल ढांचे को छुए बिना केवल आवश्यक लचीलापन जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में लोग 5 वर्ष में 70% निर्माण कर लेते हैं, लेकिन छूट या विस्तार देने का कोई प्रावधान नहीं था। सरकार अब ऐसे मामलों को जुर्माने के साथ 1–2 वर्ष की अतिरिक्त मोहलत दे सकेगी।
| प्रावधान | नया नियम | पूर्व स्थिति |
|---|---|---|
| ग्रामीण क्षेत्रों में भवन लीज | 10 वर्ष तक व्यावसायिक उपयोग के लिए लीज पर देने हेतु धारा 118 अनुमति आवश्यक नहीं | अनुमति लेना अनिवार्य |
| सरकार/सरकारी कंपनियों द्वारा अधिग्रहित भूमि | धारा 118 से पूर्ण छूट, स्पष्ट प्रावधान | नियम अस्पष्ट था |
| कृषक सदस्यों वाली सहकारी समितियां | भूमि खरीदने की अनुमति; गैर-कृषक सदस्य बनाने पर भूमि राज्य में निहित | स्पष्ट प्रावधान नहीं |
| HIMUDA/ TCP संपत्तियाँ | धारा 118 से छूट सभी आगे के खरीदारों को भी | केवल पहले खरीदार को छूट |
| रेरा-पंजीकृत परियोजनाओं से गैर-कृषकों की खरीद | 500 वर्गमीटर तक आवासीय उपयोग पर धारा 118 अनुमति नहीं | कोई छूट नहीं |
| भूमि उपयोग समयसीमा | 3 वर्ष अनिवार्य + 5 वर्ष तक विस्तार, पेनल्टी सहित | विस्तार का कोई प्रावधान नहीं |
| नियम उल्लंघन | भूमि राज्य सरकार में निहित | सीमित कार्रवाई |
विधेयक में यह भी प्रावधान है कि—
- केवल कृषक सदस्यों वाली सहकारी समितियां भूमि खरीद सकेंगी
- समिति को हर वर्ष रजिस्ट्रार को यह प्रमाणित करना होगा कि किसी गैर-कृषक को सदस्य नहीं बनाया गया
- यदि नियम का उल्लंघन होता है, तो समिति की खरीदी गई भूमि राज्य सरकार में निशुल्क निहित हो जाएगी
- सरकार का कहना है कि प्रदेश में लगभग 20 लाख लोग सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं, इसलिए यह संशोधन कृषि आधारित आर्थिक गतिविधियों को बड़ी ताकत देगा।
- हिमुडा/टीसीपी से खरीदी गई संपत्तियों पर छूट अब उत्तराधिकारियों को भी
- अब तक यह छूट केवल पहले खरीदार को मिलती थी कि HIMUDA या TCP योजनाओं से खरीदी गई संपत्तियों पर धारा 118 लागू नहीं होगी।
- नए संशोधन में यह सुविधा आगे के खरीदारों को भी दी जाएगी।
- हालांकि उनके लिए स्टांप ड्यूटी वही लागू रहेगी, जो सामान्यतः धारा 118 अनुमति प्राप्त गैर-कृषकों पर लागू होती है।
कुल मिलाकर, हिमाचल प्रदेश सरकार की यह पहल राज्य के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। नियमों को आसान बनाकर, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ग्रामीण उद्यमिता को भविष्य की आर्थिक वृद्धि का इंजन मानती है। यह विधेयक न केवल निवेश के माहौल को सुधारेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि हिमाचल की विकास गाथा में पहाड़ी क्षेत्रों के लोग और वहाँ के प्राकृतिक संसाधन सक्रिय भागीदार बनें।
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