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हमीरपुर, 6 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। नादौन (जिला हमीरपुर) में पहला एकीकृत एक्वा पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹ 25 करोड़ निर्धारित की गई है।

परियोजना की विशेषताएँ

  • इस एक्वा पार्क के लिए उपयुक्त भूमि पहले ही चिन्हित की जा चुकी है और ICAR‑CIFA, भुवनेश्वर द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा चुकी है।
  • पार्क का उद्देश्य मत्स्य (मछली पालन) को लाभदायक एवं टिकाऊ व्यवसाय के रूप में स्थापित करना है, जिससे स्थानीय किसानों एवं युवाओं को स्वरोजगार और स्थिर आय के अवसर मिलें।
  • यहाँ आधुनिक फ्रेशवॉटर एक्वाकल्चर तकनीकों का प्रसार होगा—जैसे मछली बीज उत्पादन, फीड निर्माण, मूल्य संवर्धन, विपणन आदि।

संभावित लाभ एवं प्रभाव

इस परियोजना से निम्नलिखित लाभों की संभावना है:

  • ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण एवं रोजगार मिलेगा, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या कुछ हद तक कम होगी।
  • मछली उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाला मछली फीड एवं बीज उपलब्ध होंगे।
  • मत्स्य उद्योग की तकनीकी एवं व्यवसायिक रूप से मजबूती होगी; इससे कृषि-आधारित विविधता बढ़ेगी और अन्य गतिविधियों जैसे सजावटी मछलियों का प्रजनन, इनक्यूबेशन केंद्र आदि विकसित होंगे।

किन प्रजातियों पर होगा फोकस

पार्क में विशेष रूप से निम्नलिखित मछलियों के बीज उत्पादन एवं पालन पर जोर दिया जाएगा:

  • भारतीय मेजर कार्प (जैसे जयंती रोहू, अमृत कतला, मृगल)
  • विदेशी कार्प (हंगेरियन, अमूर स्ट्रेन)
  • माइनर कार्प (कुलवांस)
  • कैटफिश (पंगेसियस, मुर्रेल)
  • सजावटी मछलियाँ (गोल्ड फिश, कोई कार्प, गप्पी, मौली)

सुविधा एवं संरचना

परियोजना के तहत निम्नलिखित आधुनिक सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी:

  • हैचरी तथा नर्सरी इकाइयाँ
  • ब्रूडस्टॉक रेजिंग सुविधाएं
  • बायोफ्लोक एवं रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (RAS)
  • फीड मिल एवं सजावटी मछली पालन इकाई
  • सार्वजनिक एक्वेरियम, एक्वा शॉप, इनक्यूबेशन एवं मार्केटिंग केंद्र
  • एडमिनिस्ट्रेशन-कॉलैबोरेटरी भवन, क्वारंटीन तथा वेट लैब, अपशिष्ट उपचार संयंत्र आदि।

सरकार की ओर से क्या कहा गया है

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और मत्स्य क्षेत्र इस दिशा में एक अहम रोल निभा सकता है। उन्होंने विभागों को निर्देश दिए हैं कि आधुनिक मत्स्य पद्धतियों को किसानों तक पहुँचाया जाए और उनका लाभ सुनिश्चित किया जाए।

चुनौतियाँ एवं ध्यान देने योग्य बातें

हालाँकि यह परियोजना आशाजनक है, लेकिन सफल क्रियान्वयन के लिए कुछ पहलुओं पर विशेष ध्यान देना होगा:

  • भूमि स्वामित्व, अनुकूल पर्यावरण तथा स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
  • तकनीकी प्रशिक्षण एवं बाजार-संवर्धन की व्यवस्था को समय से लागू करना होगा, तभी पार्क का लाभ किसानों और युवाओं तक सही मायने में पहुँचेगा।
  • पर्यावरणीय प्रभाव, जल स्रोत प्रबंधन एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर निरंतर मॉनिटरिंग आवश्यक होगी ताकि परियोजना सतत एवं जवाबदेह बने।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वभौमिक पहुँच और समावेशी विकास सुनिश्चित करना होगा — विशेष रूप से महिलाओं एवं अनुसूचित वर्ग-प्रजाओं को इस अवसर से जोड़ने की दिशा में कदम महत्वपूर्ण होंगे।

नादौन (हमीरपुर) में ₹ 25 करोड़ की लागत से स्थापित होने जा रहा यह पहला एकीकृत एक्वा पार्क प्रदेश के मत्स्य उद्योग एवं ग्रामीण युवाओं के लिए एक नया अवसर लेकर आता है। यदि इसे समय पर, पारदर्शी ढंग से और स्थानीय सहभागिता के साथ क्रियान्वित किया गया, तो यह न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा भी देगा। उम्मीद की जा रही है कि इसे एक मॉडल परियोजना के रूप में विकसित किया जाए जिस पर अन्य जिलों में भी काम किया जा सके।

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