नई दिल्ली, 03 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
इस मौसम में भारी बारिश और जलभराव के कारण किसानों को फसल नुकसान का सामना करने की आशंका है। हालांकि, तूर की कीमतों में तेजी से सुधार देखा जा रहा है, वहीं अफ्रीकन और बर्मा लेमन की खरीद भी बाजार में तेजी से बढ़ी है। कृषि क्षेत्र में यह घटनाएँ फसल उत्पादन, व्यापार और मूल्य निर्धारण को प्रभावित कर रही हैं।
मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार, आगामी दिनों में कुछ इलाकों में लगातार बारिश के कारण फसलों को गंभीर नुकसान हो सकता है। इस कारण किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश से दलहन, तिलहन और अन्य प्रमुख फसलों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की आय पर भी प्रभाव पड़ेगा।
तूर में रिकवरी
बारिश के बावजूद तूर (अरहर) की कीमतों में तेजी से रिकवरी हुई है। पिछले कुछ हफ्तों में तूर की कीमतें गिर रही थीं, लेकिन अब ताजे आंकड़ों के अनुसार तूर के भाव में सुधार देखा गया है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार, बारिश के बावजूद तूर की मांग बढ़ी है, विशेषकर दक्षिण भारत में जहां तूर का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। अब तूर के बाजार में फिर से तेजी आ रही है और इससे किसानों को उम्मीद की किरण मिली है।
अफ्रीकन और बर्मा लेमन में खरीद बढ़ी
इसके अलावा, अफ्रीकन और बर्मा लेमन की खरीद में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। खासकर मानसून के मौसम में इन दोनों प्रकार के नींबू की मांग में तेजी आई है। व्यापारियों का कहना है कि इन दोनों प्रकार के नींबू की आपूर्ति में कमी आई है, जिससे बाजार में इसकी कीमतें बढ़ गई हैं। खरीदारों की बढ़ी हुई मांग के कारण, इन फसलों के मूल्य में भी इज़ाफा हुआ है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के दौरान फसलों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएं। किसानों को यह सलाह दी जा रही है कि वे जलनिकासी व्यवस्था को सुनिश्चित करें, ताकि पानी के जमाव से फसलों को बचाया जा सके। इसके साथ ही, उन्हें संभावित फसल नुकसान को कम करने के लिए उचित कीटनाशकों और फंगस रोधी दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी गई है।
यदि मानसून का क्रम जारी रहता है, तो कृषि उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि तूर की कीमतों में स्थिरता आ सकती है, जबकि अफ्रीकन और बर्मा लेमन के भाव में और बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा, यदि मौसम में सुधार होता है, तो अन्य फसलों की बुवाई में भी बढ़ोतरी हो सकती है।
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