नई दिल्ली, 30 जुलाई (कृषि भूमि व्यापार विशेषज्ञ टीम):
भारत में कपास उत्पादन में आई गिरावट ने देश को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार की ओर मोड़ दिया है। इसका सीधा असर देश के कपास आयात पर पड़ा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुने से भी अधिक हो गया है। खास बात यह है कि ब्राज़ील से कपास का आयात दस गुना तक बढ़ गया है — जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
घरेलू उत्पादन में गिरावट से आयात बढ़ा
Cotton Association of India (CAI) के अनुसार, देश का अनुमानित उत्पादन 30.13 मिलियन बैल से घटकर अब 29.13 मिलियन बैल रह गया है। मुख्य उत्पादक राज्य जैसे महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब में सूखा और कीट प्रकोप फसलों पर भारी पड़ा है। इससे मिलों को घरेलू स्रोतों की बजाय अंतरराष्ट्रीय बाजार से कपास खरीदनी पड़ रही है।
2024–25 विपणन सत्र में भारत का कुल कपास आयात 33 लाख बैल तक पहुँच सकता है। मार्च 2025 तक ही देश ने 25 लाख बैल कपास का आयात कर लिया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 100% से अधिक वृद्धि है।
कीमतों का दबाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा
वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कपास की कीमतें 60–65 सेंट प्रति पौंड हैं, जबकि भारत में ये दर 80–85 सेंट प्रति पौंड तक जाती है। ऐसे में 11% आयात शुल्क के बावजूद विदेश से कपास मंगाना मिलों के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो रहा है। लागत घटाने और बेहतर गुणवत्ता पाने के लिए आयात को प्राथमिकता दी जा रही है।
ब्राज़ील बना भारत का नया भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता
2024–25 सीजन में ब्राज़ील ने 30.5% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ विश्व का सबसे बड़ा कपास निर्यातक बनने का गौरव प्राप्त किया है। केवल जनवरी 2025 में ही ब्राज़ील ने 4.15 लाख टन कपास का निर्यात किया। अगस्त 2024 से अप्रैल 2025 तक उसका कुल निर्यात 2.35 मिलियन टन तक पहुँच चुका है।
भारत ने ब्राज़ील से कपास आयात में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की है। जहाँ 2023–24 में यह आंकड़ा मात्र 8,000 टन था, वहीं 2024–25 के पहले छह महीनों में यह 95,000 टन तक पहुँच गया, यानी लगभग दस गुना वृद्धि।
गुणवत्ता और मशीन-कटाई बनी आकर्षण का केंद्र
ब्राज़ील की 100% मशीन कटाई प्रणाली कपास को बेहद स्वच्छ, कम मिलावटी और उच्च गुणवत्ता युक्त बनाती है। यही कारण है कि भारतीय टेक्सटाइल मिलें Extra Long Staple (ELS) कपास के लिए ब्राज़ील और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर होती जा रही हैं। इससे न केवल lint yield बढ़ता है, बल्कि कपड़ा गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
सरकारी हस्तक्षेप और Cotton Mission
भारत सरकार ने मई 2025 के बजट में ‘Cotton Productivity Mission’ की घोषणा की। इसका उद्देश्य है –
– आधुनिक कृषि तकनीकों को बढ़ावा देना
– उच्च गुणवत्ता वाली बीज किस्मों को अपनाना
– ELS कपास उत्पादन को प्रोत्साहन देना
साथ ही, Cotton Corporation of India (CCI) ने किसानों से MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, घरेलू उत्पादन को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता और लागत के स्तर तक लाना अब भी एक बड़ी चुनौती है।
कुलमिलाकर, भारत में कपास उत्पादन की कमी ने आयात पर निर्भरता बढ़ा दी है, और ब्राज़ील इस समय भारत के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो चुका है। गुणवत्ता, लागत और विश्वसनीय आपूर्ति के चलते ब्राज़ील के कपास की मांग तेजी से बढ़ी है।
सरकार की नीति और किसानों की उत्पादन पद्धतियों में सुधार ही आने वाले वर्षों में भारत को फिर से आत्मनिर्भर कपास उत्पादक बना सकते हैं। तब तक, वैश्विक साझेदारों पर यह निर्भरता जारी रहने की संभावना है।
====
पाठकों से अनुरोध: अगर आप कपड़ा उद्योग से जुड़े हैं या कृषि व्यापार में हैं, तो अपने अनुभव और विचार ‘कृषि भूमि विशेषज्ञ टीम‘ से साझा करें।
====
हमारे साथ जुड़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें : https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45
भारत में गेहूं की खरीद तीन साल के सबसे उच्चतम लेवल पर होने के बाद भी नहीं पूरा हुआ टारगेट