नई दिल्ली 27 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
ग्लोबल खाद्य और तेल बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता के बीच रूस ने भारत को सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) का निर्यात बढ़ाने की योजना बनाई है। भारत जहां अपनी तेल आपूर्ति को विविध बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है, वहीं रूस इस मौके को व्यापारिक अवसर में बदलना चाहता है।
भारत, विशेष रूप से खाने के तेल के मामले में काफी हद तक आयात पर निर्भर है। सूरजमुखी तेल की बात करें तो भारत इसका एक बड़ा उपभोक्ता और आयातक है, जो मुख्यतः रूस और यूक्रेन जैसे देशों से तेल मंगाता है। 2022–24 के बीच यूक्रेन युद्ध के कारण भारत को सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कई बार व्यवधान झेलना पड़ा।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस भारत को अपना रणनीतिक साझेदार मानते हुए सूरजमुखी तेल के निर्यात को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए दोनों देशों के बीच व्यापार समझौतों और लॉजिस्टिक्स को सरल बनाने पर बातचीत हो रही है। रूस का उद्देश्य है कि वह भारत में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए और दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करे।
“भारत एक भरोसेमंद बाजार है, और हम वहां अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहते हैं।”
— रूसी कृषि निर्यात प्राधिकरण के प्रवक्ता
तेल के दामों पर असर पड़ेगा?
अगर रूस से निर्यात बढ़ता है, तो भारतीय बाजार में सूरजमुखी तेल की कीमतों में स्थिरता आ सकती है। हाल के महीनों में खाद्य तेलों के दामों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। ऐसे में एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता से दीर्घकालिक अनुबंध भारतीय उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
भारत सरकार का फोकस सिर्फ सूरजमुखी तेल पर ही नहीं, बल्कि पाम ऑयल, सोयाबीन तेल, और सरसों तेल जैसे विकल्पों की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर भी है। सरकार घरेलू उत्पादन को भी बढ़ावा दे रही है ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके।
खाद्य तेल के अतिरिक्त, दोनों देशों के बीच गेहूं, खाद, और कृषि उपकरणों के व्यापार में भी सहयोग बढ़ाने की बात चल रही है। इससे भारत को न केवल सस्ते दामों पर आयात का लाभ मिलेगा, बल्कि रणनीतिक साझेदारी भी मजबूत होगी।
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