लखनऊ, 6 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): उत्तर प्रदेश सरकार एक महत्वपूर्ण और नई परियोजना पर तेज़ी से काम कर रही है, जिसका नाम है ‘एक जिला, एक व्यंजन’ (One District, One Dish)। इस पहल का मुख्य उद्देश्य राज्य के हर ज़िले की विशिष्ट पारंपरिक डिश को एक विशेष ब्रांड पहचान दिलाना और पूरे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों के नए द्वार खोलना है। यह योजना ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर उत्तर प्रदेश की समृद्ध खान-पान की विरासत को बढ़ावा देने की एक बड़ी कोशिश है।

ODOP की सफलता को दोहराने की तैयारी

एक आधिकारिक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, यह प्रस्ताव, जिस पर वर्तमान में सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, राज्य की बेहद सफल एक जिला, एक उत्पाद‘ (ODOP) योजना की सफलता की तर्ज़ पर बनाया गया है। इस योजना के तहत, स्थानीय खाद्य परंपराओं को भी ODOP के समान ही व्यापक समर्थन और प्रोत्साहन दिया जाएगा।

सरकार का मानना ​​है कि इस पहल से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, खाद्य एवं पेय पदार्थों से जुड़े बिज़नेस में तेज़ी आएगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

पारंपरिक व्यंजनों को पुनर्जीवन

इस विस्तृत योजना के तहत, प्रत्येक जिले की अनूठी रेसिपी, उसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री और खाना पकाने के पारंपरिक तरीकों का व्यवस्थित रूप से दस्तावेज़ीकरण (Documentation) किया जाएगा। इसके बाद, इन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रभावी ढंग से प्रचारित किया जाएगा।

इस प्रयास से कई पुरानी, क्षेत्रीय व्यंजन शैलियों को पुनर्जीवित करने की आशा है, जो समय के साथ लोगों की थालियों और यादों से दूर होती जा रही थीं। उन्हें नई पहचान और बाज़ार मूल्य मिलने की उम्मीद है।

किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ

अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस कार्यक्रम के लागू होने से स्थानीय पाक कलाओं और फूड चेन से जुड़े हज़ारों परिवारों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।

  • छोटे व्यवसायों को अवसर: ज़िले के नाम से खाने की ब्रांडिंग होने पर छोटे भोजनालयों, रेस्तरां और नए फूड स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा बाज़ार उपलब्ध होने की संभावना है।

  • पर्यटकों का आकर्षण: यह ब्रांडिंग उन पर्यटकों को आकर्षित करेगी जो स्थानीय और प्रामाणिक (Authentic) खाने के अनुभव की तलाश में रहते हैं, जिससे स्थानीय बाज़ार मजबूत होंगे।

  • कृषि की मांग: सरकार को उम्मीद है कि इस स्कीम से अनाज, दालें, मसाले, सब्जियाँ, दूध और तेल जैसे कृषि उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा सहारा मिलेगा।

यह पहल ऐसे समय में आ रही है जब इसी वर्ष, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के खानपान को यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क फ़ॉर गैस्ट्रोनॉमी में शामिल किया गया था। यह उपलब्धि लखनऊ की पाक परंपराओं और समृद्ध इतिहास का प्रमाण है, जिसने एक ‘मिनी-इंडिया’ के रूप में अपने स्वादों से आगंतुकों को हमेशा लुभाया है।

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