मुंबई, 14 नवंबर (कृषि भूमि डेस्क): तेलंगाना (Telangana) के कपास किसान (Kapas Kisan), जो इस साल अच्छी फसल की उम्मीद कर रहे थे, अब एक बड़े कृषि संकट का सामना कर रहे हैं। राज्य में कपास की सरकारी खरीद में देरी और कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा अपनाए जा रहे सख्त नमी के मानदंडों (Moisture Norms) के कारण कन्ना किसान मजबूरी में अपना कपास (Cotton) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP – Minimum Support Price) से काफी नीचे बाजार मूल्य पर निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं। यह स्थिति किसानों की आर्थिक रीढ़ को तोड़ रही है और तेलंगाना कपास बेल्ट में गहरी निराशा फैला रही है।
समस्या की जड़: CCI के सख्त नमी के मानदंड
सीसीआई (CCI) वह केंद्रीय नोडल एजेंसी है जो देश में MSP पर कपास की खरीद करती है। CCI द्वारा कपास की गुणवत्ता जांच के लिए सख्त मानदंड निर्धारित किए गए हैं, जिसमें नमी की मात्रा (Moisture Content) सबसे महत्वपूर्ण है। आमतौर पर, CCI 8% से 12% तक की नमी को स्वीकार करती है, लेकिन अत्यधिक नमी की समस्या वाले कपास को रिजेक्ट (Reject) कर दिया जाता है।
किसानों के सामने चुनौती:
- बेमौसम बारिश: हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और कटाई के समय उच्च आर्द्रता (High Humidity) के कारण कपास में नमी की मात्रा बढ़ गई है, जिससे किसानों के लिए CCI के मानदंडों को पूरा करना मुश्किल हो गया है।
- सुखाने की सुविधाओं का अभाव: ग्रामीण क्षेत्रों में कपास को सुखाने के लिए पर्याप्त और आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। किसान पारंपरिक तरीकों पर निर्भर हैं, जो बारिश के मौसम में कारगर नहीं होते।
- तुरंत नकदी की जरूरत: कपास किसान को अगली फसल की तैयारी और पिछले कर्ज को चुकाने के लिए तुरंत पैसे की जरूरत होती है। जब सरकारी खरीद (Government Procurement) में देरी होती है या उनकी उपज रिजेक्ट हो जाती है, तो उनके पास निजी व्यापारियों को बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
MSP से नीचे बिक्री का भयानक आर्थिक नुकसान
MSP का उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित और गारंटीशुदा मूल्य प्रदान करके उन्हें बाजार की अस्थिरता से बचाना है। लेकिन जब सीसीआई द्वारा कपास रिजेक्ट हो जाता है, तो किसान मजबूरन अपना कपास लेकर निजी ट्रेडर्स (Traders) के पास जाते हैं।
- निजी व्यापारियों का शोषण: निजी ट्रेडर्स किसानों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। वे CCI द्वारा रिजेक्ट किए गए कपास को MSP से 500 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक कम बाजार मूल्य (Bazaar Mulya) पर खरीदते हैं।
- लागत वसूली भी मुश्किल: कपास उत्पादन की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है। MSP से नीचे बिक्री करने पर कपास किसानों के लिए अपनी लागत वसूली (Cost Recovery) करना भी मुश्किल हो जाता है, जिससे वे गहरे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं।
- MSP का उद्देश्य विफल: MSP की पूरी व्यवस्था ही तब विफल हो जाती है जब सरकारी खरीद समय पर और उचित मानदंडों के साथ नहीं होती, और कपास किसान को अंततः नुकसान उठाना पड़ता है।
किसानों की मांगें और आवश्यक सरकारी हस्तक्षेप
तेलंगाना कपास बेल्ट के किसान CCI और राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं ताकि इस कृषि संकट का समाधान किया जा सके:
- नमी मानदंडों में छूट: कपास किसानों की सबसे बड़ी मांग है कि इस मौसम की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए CCI नमी के मानदंडों में अस्थायी रूप से कुछ छूट (Relaxation) दे।
- त्वरित खरीद केंद्र: सरकारी खरीद प्रक्रिया को तेज करने के लिए अधिक संख्या में खरीद केंद्र (Procurement Centers) स्थापित किए जाएं।
- सुखाने की आधुनिक व्यवस्था: सरकार को कपास को सुखाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कम्युनिटी ड्राइंग फैसिलिटी (Community Drying Facility) और आधुनिक मशीनों की व्यवस्था करनी चाहिए।
- निजी व्यापारियों पर नियंत्रण: बाजार मूल्य को MSP से बहुत नीचे गिरने से रोकने के लिए निजी ट्रेडर्स पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण की आवश्यकता है।
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