बिजली और पानी की किल्लत से अक्सर महाराष्ट्र के किसानों को जूझना पड़ता है। राज्य में खेती केलिए पानी की उपलब्धता सिमित होने से राज्य सरकार किसानों  को दिन की बजाए सिंचाई के लिए रात में बिजली उपलब्ध कराती है। हालांकि सिंचाई बिजली का बिल भी किसानों का सिरदर्द बना हुआ है। इन सब परेशानियों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने किसानों के लिए सोलर पम्प देने की योजना बनाई है, लेकिन जानकारी के आभाव में किसान अब भी इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र का बेंबळे एक ऐसा गावं है जिसने इन सब परेशानियों पर मात करते हुए गावं में सोलार खेती की मिसाल कायम की है।

महाराष्ट्र के बेंबळे गावं ने कायम की मिसाल 

सोलापुर-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग पर टेम्बुरनी से 10 किमी दूर लगभग 15,000 की आबादी वाला बेंबळे गाँव है। क्षेत्रफल लगभग तीन हजार हेक्टेयर है, जिसमें से 2700 हेक्टेयर पर खेती होती है और किसानों की संख्या 2500 तक है।

बागबानी की खेती 

भीमा नदी के तट और उजनी बांध के आसपास की नहरों ने बेंबळे क्षेत्र को पानी का एक स्थायी स्रोत प्रदान किया है। इसलिए गन्ना और केला इस क्षेत्र की मुख्य फसलें हैं। इसके अलावा केला, अंगूर, अमरूद, अनार और अन्य फलों की फसलें यहां उगाई जाती हैं। जाहिर है, यहां बिजली की मांग सबसे ज्यादा है।

लोड शेडिंग से मिली मुक्ति 

अन्य गांवों की तरह बेंबळे में भी किसानों को लगातार लोड शेडिंग या पर्याप्त दबाव पर बिजली नहीं मिलने की समस्या का सामना करना पड़ता था। लगभग सात साल पहले, गांव के सेवानिवृत्त तालुका कृषि अधिकारी हनुमंत भोसले और प्रगतिशील किसान जयवंत भोसले ने इस मामले को स्थायी रूप से निपटाने का फैसला किया। उन्होंने इसके लिए सौर ऊर्जा चालित पंपों का उपयोग करने की संकल्पना किसानों साझा की। लेकिन पर्याप्त जानकारी न होने के कारण किसानों की ओर से प्रतिसाद नहीं मिला।

सोलर पंप पर 95 फीसदी तक सब्सिडी

भोसले बंधुओं ने किसानों को योजना और उसके आवेदन के बारे में पूरी जानकारी दी। उनका फ्रॉम भरा ताकि किसानों को छोटी सी बात पर योजना से वंचित न रहना पड़े। उस समय तीन, पांच और साढ़े सात एचपी के सोलर पंप पर 95 फीसदी तक सब्सिडी मिलती थी। भोसले बंधुओं ने अपने खेतों में पंप लगवाये ताकि किसान इसके फायदे समझ सकें।

बेंबळे शिवारा में 550 सौर ऊर्जा संचालित फार्म पंप

आज, बेंबळे शिवारा में 550 सौर ऊर्जा संचालित फार्म पंप चल रहे हैं। अतः इसका पैनल सिस्टम शिवार में गन्ना, केला, अनार एवं अन्य खेतों में देखा जा सकता है। एक इलेक्ट्रिक पंप का चार्ज हर तीन महीने में 5,000 रुपये होता है। इस हिसाब से एक पंप का सालाना बिल 20 हजार रुपये आता है। गांव के कुल 550 पंपों के सालाना बिजली बिल पर गौर करें तो गांव के किसानों ने 11 करोड़ रुपये की बचत की है। इस बचत से कृषि की लाभप्रदता में वृद्धि हुई है।

पहले गांवों में पांच घंटे या उससे अधिक समय तक लोड शेडिंग होती थी। जहां बागवानी फसलों की सिंचाई के लिए बिजली की भारी जरूरत होती है, वहीं लगातार बिजली गुल होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता  था। अक्सर सिंचाई के लिए बिजली का रात रात भर जागकर इन्तजार करना पड़ता था। इसका असर बागबानी पर भी पड़ता था।

50 प्रतिशत किसानों के पास होंगे सौर पैनल

लेकिन अब सौर पंप प्रतिदिन छह से आठ घंटे पूरी क्षमता से बिजली प्रदान करते हैं। गांव में सोलर पैनल को लेकर काफी जागरूकता आई है। मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजनाएं वर्तमान में सरकार के महाऊर्जा और महावितरण विभाग के माध्यम से संचालित हो रही हैं। अभी गांव के अन्य 500 किसानों के आवेदन लंबित हैं। यदि उन्हें भी योजना का लाभ मिलता है तो बेंबळे राज्य में एक मिसाल कायम करेगा। यहाँ के 50 प्रतिशत किसानों के पास सौर पैनल होंगे।

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