पटना, 2 दिसंबर, 2025 ( कृषि भूमि डेस्क): डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में आयोजित दीक्षारंभ कार्यक्रम के नौवें दिन, कुलपति डॉ. पी. एस. पांडेय ने नव-प्रवेशित छात्रों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) और जीवन की चुनौतियों का सामना कर आगे बढ़ने के महत्व के बारे में मार्गदर्शन दिया।
मालिक बनें, नौकर नहीं: कुलपति का दृष्टिकोण
अपने संबोधन में डॉ. पांडेय ने छात्रों को केवल अच्छी नौकरी पाने के बजाय बड़ी कंपनियों के मालिक बनने के लिए प्रेरित किया। डॉ. पांडेय ने आत्मविश्वास व्यक्त करते हुए कहा, “विश्वविद्यालय के बच्चे अच्छी नौकरी तो पा ही जाते हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी बड़ी कंपनियों के मालिक बनें। मैं देख सकता हूँ कि कई नए छात्र जो आज दर्शक दीर्घा में हैं, वे भविष्य में बड़ी कंपनियों के मालिक बनेंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि दीक्षारंभ का मुख्य उद्देश्य छात्रों में चरित्र निर्माण करना है। उन्होंने छात्रों से ‘लर्न, अर्न एवं रिटर्न’ के सिद्धांत पर भी चर्चा की और समाज को कुछ वापस करने के तरीके पर विचार विमर्श किया।
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भावनाओं पर विजय: साधु अमरूतचरित दास का विशेष व्याख्यान
कुलपति डॉ. पांडेय ने इस अवसर पर स्वामीनारायण संस्था के प्रसिद्ध संत और अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली के प्रभारी साधु अमरूतचरित दास के एक विशेष रिकॉर्डेड व्याख्यान को भी छात्रों को सुनाया। स्वामी जी ने अपने व्याख्यान में अपनी भावनाओं पर विजय पाने के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने देश-विदेश के प्रसिद्ध लोगों के उदाहरण दिए, जो साधारण परिस्थितियों से निकलकर और अपनी कमजोरियों पर नियंत्रण करके विशेष बने।
साधु अमरुतचरित दास ने छात्रों से कहा कि हम सबको अपने अंदर झाँकना चाहिए और ऐसी आदतों से मुक्ति पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना चाहिए जो हमें गुलाम बना रही हैं। उन्होंने कहा कि असली लड़ाई हम सबके अंदर चलती है, और जो स्वयं पर विजय पा लेता है, वह सर्वगुण संपन्न हो जाता है। उन्होंने छात्रों से स्वयं को विकसित और बेहतर बनाने का उद्देश्य रखने और अच्छी पुस्तकें पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया।
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कुलपति और छात्रों के बीच सीधा संवाद
कुलसचिव डॉ. पी. के. प्रणव ने दीक्षारंभ कार्यक्रम के महत्व को बताते हुए कहा कि इसकी शुरुआत “सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया:” के उद्घोष से होती है और इसके बाद वंदे मातरम का गान होता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को इस तरह से तैयार करने की कोशिश कर रहा है कि वे समाज और विश्व को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकें।
फिशरिज कॉलेज, ढोली के डीन डॉ. पी. पी. श्रीवास्तव ने भी छात्रों के साथ संवाद किया और उनके विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। डॉ. श्रीवास्तव ने छात्रों को बताया कि, “सामान्यतः विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने में छात्रों को बहुत समस्या होती है, लेकिन यह एकमात्र विश्वविद्यालय है जहाँ कुलपति स्वयं छात्रों की क्लास लेते हैं और उनके विकास को लेकर हर समय चिंतित रहते हैं।“
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कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अंजनी कुमारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रितंभरा सिंह ने किया।
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