चंडीगढ़, 24 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
पंजाब के कई जिलों में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने राज्य के किसानों की कमर तोड़ दी है। चार दशकों की सबसे गंभीर बाढ़ ने जहां खेतों को जलमग्न कर दिया, वहीं धान, मक्का और सब्ज़ियों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं। खेतों में पानी भरे रहने से न केवल मौजूदा फसलें डूब गई हैं, बल्कि आगामी बुआई भी संकट में पड़ गई है।
किसानों पर दोहरी मार
गुरदासपुर, फिरोजपुर, रोपड़ और पटियाला जिलों से सबसे अधिक नुकसान की खबरें सामने आई हैं। इन इलाकों में खेतों में कई फीट तक पानी भरा हुआ है। किसानों का कहना है कि उन्होंने बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए कर्ज़ लिया था, लेकिन बाढ़ ने उनकी मेहनत और निवेश दोनों को बहा दिया। एक किसान ने बताया, “हमने पूरी उम्मीद से धान बोया था, लेकिन अब खेत में केवल पानी ही पानी है। कर्ज़ कैसे चुकाएंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है।”
सरकार का राहत पैकेज
पंजाब सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है। हालांकि किसानों का आरोप है कि ज़मीनी स्तर पर अभी तक कोई ठोस मदद नहीं पहुंची है। प्रशासन द्वारा नुकसान का आकलन जारी है, लेकिन राहत वितरण की गति बेहद धीमी है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक तत्काल मुआवज़ा और सहायता नहीं दी जाएगी, तब तक किसान गहरे आर्थिक संकट में फंसे रहेंगे।
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
कृषि वैज्ञानिकों और जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द से जल्द जल निकासी और पुनर्रचना का काम नहीं किया गया, तो अगली रबी फसल भी प्रभावित होगी। रबी सीजन में गेहूं और सरसों जैसी फसलों की बुआई होती है, और यदि ज़मीन समय पर तैयार नहीं हुई तो उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार को केवल राहत पैकेज तक सीमित न रहकर दीर्घकालिक योजना पर काम करना चाहिए। इसमें जल प्रबंधन, सिंचाई व्यवस्था के आधुनिकीकरण, फसल बीमा योजनाओं का विस्तार और जलवायु-उन्मुख कृषि नीतियों को प्राथमिकता देनी होगी।
जलवायु परिवर्तन का खतरा
इस बाढ़ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन भारतीय खेती को किस तरह असुरक्षित बना रहा है। पिछले कुछ वर्षों में असामान्य बारिश, लंबे सूखे और अचानक बाढ़ जैसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते नीतिगत हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो देश की खाद्य सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।
किसानों की मांग
प्रभावित किसानों ने मांग की है कि:
- तत्काल मुआवज़ा दिया जाए ताकि वे कर्ज़ के बोझ से उबर सकें।
- जल निकासी और राहत कार्यों को प्राथमिकता दी जाए।
- दीर्घकालिक कृषि सुरक्षा नीति लागू की जाए जिसमें फसल बीमा और जलवायु-रोधी फसल प्रबंधन शामिल हो।
पंजाब की यह बाढ़ केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि खेती-किसानी के सामने खड़े बढ़ते संकट की चेतावनी भी है। यदि राज्य और केंद्र सरकार ने मिलकर ठोस कदम नहीं उठाए, तो किसानों की आजीविका ही नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में देश की खाद्य सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा मंडरा सकता है।
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