नई दिल्ली, 19 नवम्बर 2025 ( कृषि भूमि ब्यूरो ): केंद्र सरकार ने देश के किसानों को बड़ी राहत देते हुए खरीफ 2025-26 सीज़न के लिए प्याज, सोयाबीन, मूंगफली और दलहन (दालों) जैसी प्रमुख फसलों की सरकारी खरीद के प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी है। यह फैसला उन किसानों के लिए एक बड़ा सहारा है, जो इन दिनों बाज़ार में कम कीमतों के कारण भारी नुकसान झेल रहे हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को यह घोषणा की। फिलहाल, उन्होंने आंध्र प्रदेश और राजस्थान राज्यों से आए मूल्य समर्थन योजना (PSS) और बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के तहत खरीद के प्रस्तावों को हरी झंडी दी है। सरकार ने इस सरकारी उपार्जन के तहत 9,700 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की उपज खरीदने की योजना बनाई है।
मुख्य फैसले और राज्यों को मिली मंज़ूरी
केंद्र सरकार ने इस बार रिकॉर्ड स्तर पर खरीद को मंजूरी दी है, खासकर उन फसलों के लिए जिनकी कीमतें थोक मंडियों में काफी कम चल रही हैं।
राजस्थान के लिए चार फसलों की खरीद
राजस्थान के किसानों के लिए केंद्र ने रिकॉर्ड स्तर पर चार फसलों की खरीद को स्वीकृति दी है। इन फसलों का कुल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लगभग 9,436 करोड़ रुपये है।
मूंग (Moong): 3,05,750 मीट्रिक टन
उड़द (Urad): 1,68,000 मीट्रिक टन
मूंगफली (Groundnut): 5,54,750 मीट्रिक टन
सोयाबीन (Soybean): 2,65,750 मीट्रिक टन
आंध्र प्रदेश में मूंगफली और प्याज पर फोकस
आंध्र प्रदेश के किसानों से दो प्रमुख फसलों की खरीद की जाएगी:
मूंगफली: 37,273 मीट्रिक टन मूंगफली की खरीद MSP पर होगी, जिसका मूल्य लगभग 270.71 करोड़ रुपये आंका गया है।
प्याज (MIS के तहत): बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) के तहत 97,887 मीट्रिक टन प्याज की खरीद की जाएगी, जिसकी कीमत लगभग 24.47 करोड़ रुपये होगी।
पारदर्शिता पर ज़ोर
यह सरकारी खरीद उस समय की गई है जब देश की मंडियों में दलहन, तिलहन और प्याज की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने दोनों राज्यों को खरीद केंद्रों पर व्यवस्था को मज़बूत और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि:
किसानों का पंजीकरण और भुगतान पूरी तरह से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से होना चाहिए।
खरीद केंद्रों पर आधार-सक्षम उपकरण (Aadhaar-enabled devices) उपलब्ध कराए जाएं।
किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और कंपनियों (FPC) के माध्यम से किसानों को बेहतर और संगठित बाज़ार उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
सरकार का यह कदम सीधे तौर पर किसानों की आय सुनिश्चित करने और उन्हें बाज़ार की अस्थिरता से बचाने के लिए उठाया गया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
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